मेरठ शहर के मिशन कंपाउंड (देवनगर) निवासी आरटीआई कार्यकर्ता मनोज चौधरी के अनुसार उन्होंने प्राधिकरण से पिछले डेढ़ दशक में किए गए विकास कार्य, टाउनशिप या नई कॉलोनी, इस दौरान बनाए फ्लैट, बिके फ्लैट, आवंटित भूखंड व खाली भूखंड के बारे में जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में एमडीए ने बताया है कि करीब डेढ़ दशक में शहर में कोई नई कॉलोनी या टाउनशिप विकसित नहीं की गई है। एमडीए इसकी वजह किसानों को बताता है। प्राधिकरण अफसरों का कहना है कि प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहित की गई भूमि पर किसानों ने अनाधिकृत कब्जे कर रखे हैं। कहीं मुआवजे के विवाद को लेकर तो कही भूमि की अनुपलब्धता के कारण प्राधिकरण बीते डेढ़ दशक में कोई कॉलोनी विकसित नहीं कर पाया है।
अचरज की बात यह है कि कहीं-कहीं पर एमडीए खुद अपने बनाए नियम-कानूनों को तोड़ रहा है। मसलन,प्राधिकरण के अनुसार जो भूखंड लीज पर आवंटित हैं उनकी रजिस्ट्री या कब्जा जो भी पहले हो उस तिथि से 5 साल के भीतर निर्माण होना जरूरी है। हालांकि प्राधिकरण की नियमावली का खुद ही योजनाओं में पलीता लगा रही है। एमडीए उपाध्यक्ष मृदुल चौधरी किसानों के विरोध को शहर के विकास में बाधक तो मानते हैं । लेकिन उनका यह भी दावा है कि किसानों के विरोध के बावजूद मेरठ विकास प्राधिकरण के शहर के विकास संबंधी योजनाएं पूरी तरह थमी नही है। बकौल मृदुल चौधरी, शहर के विकास के लिए कई प्लानिंग प्रोजेक्ट चल रहे हैं।