मणिपुर में दो समुदायों के बीच हिंसा के आज (3 मई) दो साल पूरे हो गए। इसको लेकर कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधा। कांग्रेस ने कहा, ‘पीएम मोदी मणिपुर से दूरी बनाए हुए हैं। गृह मंत्री अमित शाह राज्य की स्थिति संभालने में विफल साबित हुए हैं।’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा- मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन जारी है, लेकिन मौजूदा विधानसभा भंग नहीं, सिर्फ निलंबित है। कई नागरिक संगठन इसके विरोध में हैं। सियासी ताकत पूर्व CM वीरेन सिंह के हाथ में है, क्योंकि यहां भाजपा बिखरी हुई है।
3 मई 2023 को कुकी-मैतेई समुदाय के बीच संघर्ष शुरू हुआ था, जो आज भी जारी है। इन दो सालों में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। 1500 से ज्यादा घायल हुए। 70 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हैं। 6 हजार से ज्यादा FIR दर्ज हुई हैं।
शनिवार को मैतेई नियंत्रित इम्फाल घाटी में मैतेई समूह समन्वय समिति मणिपुर अखंडता (COCOMI) और जोमी छात्र संघ (ZSF), कुकी छात्र संगठन (KSO) ने पहाड़ी जिलों में बंद बुलाया। इस दौरान पूरे राज्य में सभी स्कूल-कॉलेज, सरकारी कार्यालय और दूसरे संस्थान बंद रहे।
कुकी समुदाय आज के दिन को डे ऑफ आइसोलेशन के रूप में मनाया। राज्य में तनाव को देखते हुए सुरक्षाबलों ने इम्फाल, चुराचांदपुर और कंगपोकपी में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है।
जयराम रमेश ने लिखा- मणिपुर की पीड़ा और तकलीफ जारी
रमेश ने X पोस्ट में लिखा- भाजपा ने फरवरी 2022 में भारी जनादेश के साथ मणिपुर में सरकार बनाई और आज से ठीक दो साल पहले राज्य में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी। राज्य की पीड़ा और तकलीफ अब भी जारी है। राजनीतिक खेल खेले जा रहे हैं। कोई सार्थक सुलह प्रक्रिया नहीं चल रही है। 60 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हैं। लोग बहुत तनाव की स्थिति में राहत शिविरों में रह रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पीएम ने राज्य में किसी से मुलाकात नहीं की वे पूरी दुनिया में घूम चुके हैं, लेकिन उन्हें इस संकटग्रस्त राज्य का दौरा करने और वहां के लोगों से मिलने के लिए न तो समय मिला है, उनकी न ही इच्छा है और न ही उनमें संवेदनशीलता है।
रमेश ने कहा कि मणिपुर इससे बेहतर स्थिति का हकदार है। मणिपुर के लोग प्रधानमंत्री के इम्फाल आने और खूबसूरत राज्य का दौरा करने तथा लोगों को सांत्वना देने का इंतजार कर रहे हैं। कम से कम उस सीमा तक जहां तक वे ऐसा करने में सक्षम हैं।
सुरक्षाबलों का 20 किमी का फ्लैग मार्च
मणिपुर हिंसा की दूसरी बरसी से एक दिन पहले (2 मई) सुरक्षाबलों ने फ्लैग मार्च किया था। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की 34 बटालियन के DIG सुशांकर उपाध्याय ने बताया था कि इस फ्लैग मार्च से लोगों में एक भरोसा पैदा होगा। लोगों को लगेगा कि हालात पर काबू पाने के लिए यहां एक न्यूट्रल (किसी के पक्ष में नहीं) फोर्स है।
DIG उपाध्याय ने ये भी बताया था कि फ्लैग मार्च में 1000 जवान शामिल हुए। हमने इसे इम्फाल पुलिस के साथ कोऑर्डिनेशन में आयोजित किया था। हमने करीब 20 किमी का मार्च निकाला। हम लोगों में एक तरह का विश्वास और उपद्रवियों को चेतावनी देना चाहते थे।

