58 शवों से कानपुर का पोस्टमॉर्टम हाउसफुल हो गया है। शव रखने की जगह नहीं बची। लगातार आ रही लाशों के चलते अतिरिक्त जगह और डॉक्टरों की डिमांड की गई है। पोस्टमॉर्टम हाउस के 500 मीटर की रेंज में भीषण दुर्गंध फैल गई है। ज्यादातर मौतों का कारण भीषण गर्मी बताया जा रहा है, हालांकि आधिकारिक तौर पर मौत की वजह स्पष्ट नहीं है। वैसे भी मौत गर्मी से हुई या नहीं, यह पोस्टमॉर्टम से पता भी नहीं चलता।
पोस्टमॉर्टम करते-करते पतारा सीएचसी के डॉ. अश्विनी बाघमरे गश खाकर जमीन पर गिर पड़े। साथी डॉक्टर और पोस्टमॉर्टम हाउस के स्टाफ ने ठंडा पानी डाला, तब उन्हें होश आया। पोस्टमॉर्टम हाउस प्रभारी डॉ. नवनीत चौधरी की भी हालत बिगड़ गई।
पोस्टमॉर्टम हाउस में हालात कंट्रोल करने और अव्यवस्थाओं को ठीक करने के लिए डीएम ने सीएमओ और एडीएम को भेजा है। पांच डॉक्टरों की टीम पोस्टमॉर्टम करने में जुटी है। इसमें डॉ. विपुल, डॉ. आंबेडकर, विनीत सोनकर, डॉ. मुन्ना लाल, डॉ. आशीष मिश्रा और डॉ. नवनीत चौधरी शामिल हैं।
शहर भर में मिल रहीं लावारिस लाशें
पोस्टमॉर्टम हाउस के हालात ये हैं कि एक के ऊपर एक शव रखना पड़ रहे हैं। शुक्रवार को सुबह से देर शाम तक 38 शवों का पोस्टमॉर्टम हुआ। इनमें 7 लावारिस शव शामिल हैं। शनिवार को पोस्टमॉर्टम हाउस में 58 शव रखे हैं, इनमें से 45 लावारिस हैं। CMO आलोक रंजन ने बताया कि शव ज्यादा आ रहे हैं, इसके लिए अस्थाई कमरे का इंतजाम किया जा रहा है। रिपोर्ट आने के बाद हम कह सकते हैं कि इन लोगों की मौत कैसे हुई?
शव रखने के लिए अतिरिक्त जगह की मांग
लावारिस शवों को देखते हुए पोस्टमॉर्टम हाउस ने जिला प्रशासन से शवों को रखने के लिए अतिरिक्त जगह की मांग की है। साथ ही CMO से पोस्टमॉर्टम के काम में अतिरिक्त डॉक्टर लगाने की भी मांग की, ताकि हालात कंट्रोल किए जा सकें।
कानपुर में भीषण गर्मी पड़ रही है। यहां का तापमान 44°C पार कर गया है। माना जा रहा है कि फुटपाथ पर, पार्क में और अलग-अलग जगह लोगों की भीषण गर्मी से मौत हुई। इनमें से ज्यादातर बुजुर्ग, भिखारी और सड़क किनारे घूमने वाले लोग हैं।

