सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत की सरपंच को पद से हटाने के केस को गंभीर मामला बताया है। जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा कि चुने हुए जनप्रतिनिधि को हटाने को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए, खासकर तब, जब यह ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं से जुड़ा हो।
बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला पलटते हुए 27 सितंबर को कोर्ट ने कार्यकाल पूरा होने तक सरपंच की बहाली के आदेश दिए। बेंच ने कहा- यह क्लासिक केस है। गांव वाले इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहे कि एक महिला सरपंच चुनी गई है और उन्हें उसके निर्देशों को मानना होगा।
दरअसल, महाराष्ट्र के जलगांव में विचखेड़ा ग्राम पंचायत की सरपंच मनीष रवींद्र पानपाटिल ने अपने खिलाफ हुए एक्शन पर याचिका लगाई। ग्रामीणों की शिकायत के बाद उन्हें उनके पद से हटाने का आदेश दिया गया था।
मनीष पर आरोप था कि वे सरकारी जमीन पर बने घर में अपनी सास के साथ रह रही थीं। पानपाटिल ने इस आरोप का खंडन किया। उन्होंने बताया कि वे अपने पति और बच्चों के साथ किराए के घर में अलग रहती हैं।
कोर्ट ने कहा- ऐसे केस महिला सशक्तिकरण की प्रगति पर असर डालते हैं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये हालात तब और भी गंभीर हो जाते हैं, जब हम देश के सरकारी ऑफिस, निकायों समेत सभी क्षेत्रों में लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। जमीनी स्तर पर ऐसे उदाहरण हमारी किसी भी प्रगति पर भारी असर डालते हैं। बेंच ने यह भी कहा कि महिलाएं काफी संघर्ष के बाद ही ऐसे पब्लिक ऑफिस तक पहुंच पाने में सफल होती हैं।
कलेक्टर ने ग्रामीणों की शिकायत पर लिया था एक्शन
आरोपों की जांच किए बिना और निराधार बयानों के आधार पर जिले के कलेक्टर ने उन्हें सरपंच के रूप में अयोग्य ठहराया। साथ ही पद से हटाने का आदेश पारित कर दिया। इसके बाद कमिश्नर ने इस आदेश को बरकरार रखा। हाईकोर्ट ने 3 अगस्त 2023 को अपीलकर्ता की याचिका को खारिज कर दिया और सरपंच को पद से हटाने पर मुहर लगा दी।
बेंच ने कहा- पानपाटिल को पद से हटाने के लिए ग्रामीणों ने तिनके का सहारा लिया। जिसके चलते अलग-अलग लेवल पर सरकारी अधिकारियों के संक्षिप्त आदेशों से उनके विरोध को ताकत मिली।
अधिकारियों को निर्देश- संवेदनशील बनें
बेंच ने कहा कि सरपंच के पद से उनका हटाया जाना बेहद गलत है। संबंधित अधिकारियों को खुद को संवेदनशील बनाने और अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में काम करने की जरूरत है। ताकि अपीलकर्ता जैसी महिलाएं ग्राम पंचायत के सरपंच के रूप में अपनी सेवाएं देकर अपनी योग्यता साबित कर सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 4 अक्टूबर काे एक सुनवाई के दौरान कहा कि गुजरात में अधिकारियों ने बुलडोजर एक्शन पर उसके आदेश की अवमानना की है तो हम न केवल अधिकारियों को जेल भेजेंगे, बल्कि उन्हें सारी संपत्तियां दोबारा बनवाने का आदेश दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी।

