इसके बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि RSS अपनी शाखा लगाने के लिए सरकारी परिसरों का इस्तेमाल कर रहा है। मैंने मुख्य सचिव से कहा है कि वे जांच करें और देखें कि तमिलनाडु सरकार ने क्या कदम उठाए हैं। और क्या उन्हें कर्नाटक में भी लागू किया जा सकता है।
इसके पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कर्नाटक के आईटी मिनिस्टर प्रियांक खड़गे ने 4 अक्टूबर को सीएम को लेटर लिखा था। इसमें उन्होंने राज्य के सरकारी परिसरों और सार्वजनिक स्थानों पर RSS की गतिविधियों पर बैन लगाने की मांग की थी।
यतींद्र ने कहा कि RSS को कानून के तहत लाना चाहिए और उसे एक पंजीकृत संस्था बनाया जाना चाहिए। अभी वह एक स्वैच्छिक संगठन है, इसलिए उसे कुछ कानूनी छूट मिल जाती है।
RSS की सोच भी तालिबान जैसी है। जैसे तालिबान इस्लाम को अपने हिसाब से चलाना चाहता है और महिलाओं की आजादी पर रोक लगाता है, उसी तरह RSS भी हिंदू धर्म को सिर्फ अपने नजरिए से दिखाना चाहता है।
तमिलनाडु में सरकार ने हाल ही में सरकारी परिसरों और स्कूलों में किसी भी राजनीतिक या धार्मिक संगठन की गतिविधियों पर रोक लगाई है। कर्नाटक सरकार अब उसी नीति का अध्ययन कर यह तय करेगी कि राज्य में भी वैसी ही कार्रवाई की जाए या नहीं।
दरअसल, RSS लंबे समय से देशभर में सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करता रहा है, जिसमें शाखाएं और शारीरिक प्रशिक्षण शामिल हैं। लेकिन विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकारी संस्थानों में इस तरह की गतिविधियां राज्य की धर्मनिरपेक्ष नीति और संविधान की भावना के विपरीत हैं।

