स्वतंत्र भारत की नींव रखने में कई आंदोलनकारियों और क्रांतिकारियों की भूमिका अहम निभाने वाले इन क्रांतिकारियों के नाम से ब्लांक डी टू सेकटर 10 गेट न० पाँच बनाया गया है आज के दिन आजादी के लिए अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया। इन महान विभूतियों की तस्वीरें एक साथ ब्लांक के गेट पर लगाईं गई हैं जो रात के समय भी काफ़ी चमकती है,आज पास के ब्लांक वासी इस गेट पर लगी तस्वीरें से काफ़ी उत्साहित हैं।
इन महान विभूतियों से प्रेरित होकर ब्लांक के कारोबारी व समाजसेवी वीरेंद्र शर्मा ने समाज हित मे कई कार्य किये हैं और इस गेट न० 5 सौंदर्यीकरण करने की ज़िम्मेदारी ली इस मौक़े पर ब्लांक डी टू के प्रधान जगजीत सिंह नैन ने कहाँ देश को आज़ादी दिलाने के संघर्ष मे कई बार जेल गए, अंग्रेजों की प्रताड़ना झेली लेकिन हार नहीं मानी और ब्रिटिश हुकुमत को देश से बाहर निकालने का प्रयास जारी रखा। वरिष्ठ अधिवक्ता शिवदत्त वशिष्ठ ने कहा की क्रांतिकारियों शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का नाम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु युवाओं के लिए आदर्श और प्रेरणा है।
उन्हें लाहौर षड़यंत्र के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी। 24 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फांसी दी जानी थी लेकिन अंग्रेजी हुकूमत उन्हें फांसी के फंदे पर लटकाने को लेकर भी खौफ में थी कि देशवासी उनके शहीद होने पर आक्रोशित हो जाएंगे। ऐसे में तीनों वीर सपूतों को एक रात पहले ही चुपके से फांसी दे दी गई। 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव हंसते हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए। आज उनकी पुण्यतिथि है। इस दिन को भारत के वीर सपूतों के बलिदान की याद में मनाते हुए शहीद दिवस के तौर पर मनाते हैं इसी तर्ज़ पर ब्लांक डीटू के गेटों का नाम और स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर रखा जाएगा

