– शोध, स्टार्टअप और कौशल विकास को बढ़ावा देने में में विश्वविद्यालयों की अहम भूमिकाः कुलपति राज नेहरू
– ई-प्रौद्योगिकी की उन्नति में दोनों संस्थान दे सकते है अहम योगदानः कुलपति प्रो. दिनेश कुमार
फरीदाबाद, 2 फरवरी – अकादमिक हित में विशेषज्ञता के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए जे.सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद और गुरुग्राम विश्वविद्यालय ने परस्पर ज्ञान और विशेषज्ञता को साझा करने और उभरते क्षेत्रों में संयुक्त शैक्षणिक कार्यक्रम शुरू करने के लिए एक समझौता किया है। दोनों विश्वविद्यालय अकादमिक उन्नति को प्रोत्साहन देने के लिए फैकल्टी एक्सचेंज सहित आपसी हित के विभिन्न क्षेत्रों में मिलकर काम करेंगे।
समझौता ज्ञापन पर जे.सी. बोस विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव डॉ. एस.के. गर्ग तथा गुरुग्राम विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव डॉ. शशि भूषण भारती ने दोनों विश्वविद्यालयों के कुलपतियों क्रमशः श्री राज नेहरू और प्रो दिनेश कुमार की उपस्थिति में हस्ताक्षर किये।
इस अवसर पर बोलते हुए जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के कुलपति श्री राज नेहरू, जोकि श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय (एसवीएसयू) के कुलपति भी हैं, ने कहा कि उभरती प्रौद्योगिकी पर अनुसंधान को बढ़ावा देने और युवाओं के लिए उद्योग उन्मुख कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस क्षेत्र के विश्वविद्यालयों में अकादमिक समझौतों के माध्यम से एक साथ मिलकर काम करने की काफी संभावनाएं है। उन्होंने कहा कि एसवीएसयू जो जे.सी. बोस यूनिवर्सिटी का अकादमिक सहयोगी है, वह भी गुरुग्राम विश्वविद्यालय के साथ ऐसे संयुक्त शैक्षणिक कार्यक्रमों में योगदान दे सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं के लिए रोजगार के मुद्दे को हल करने के लिए विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के अभिनव स्टार्टअप आइडियाज को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।
गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि जे.सी. बोस विश्वविद्यालय राज्य में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता मानकों पर एक स्थापित संस्थान है और गुरुग्राम विश्वविद्यालय, जोकि अपेक्षाकृत एक नया विश्वविद्यालय है, के तकनीकी कार्यक्रमों के विकास में अहम योगदान दे सकता है। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम विश्वविद्यालय को देश की मिलेनियम सिटी में स्थित होने का रणनीतिक लाभ है, और दोनों संस्थान ई-प्रौद्योगिकी की उन्नति, कौशल विकास और उभरती प्रौद्योगिकियों पर अनुसंधान करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।
कुलसचिव डॉ. एस.के. गर्ग ने कहा कि यह समझौता अकादमिक सहयोग और कार्यक्रमों के माध्यम से छात्रों और संकाय सदस्यों के बीच अंतर-विश्वविद्यालय संवाद को प्रोत्साहित करेगा।
इस अवसर पर डॉ अमन वशिष्ठ, डॉ सुमन वशिष्ठ, डॉ राकेश कुमार योगी, डॉ एम.एस. तुरान, डॉ. नवीन गोयल, डॉ. गायत्री रैना, डॉ. धीरेंद्र कौशिक, डॉ. अमरजीत कौर और डॉ. शुभम गांधी भी मौजूद थे।