फरीदाबाद: इस्कॉन स्कूल ऑफ कल्चरल वैल्यूज़ (इस्कॉन मंदिर, सेक्टर 37 से संबद्ध) द्वारा कृष्ण-बलराम शोभा यात्रा का भव्य आयोजन किया गया। इस शोभा यात्रा में 150 बच्चों (आयु 6 से 12 वर्ष) ने भाग लिया, जिन्होंने हाल ही में आध्यात्मिक ज्ञान, कला और शिल्प पर आधारित ग्रीष्मकालीन शिविर (समर कैंप) में प्रशिक्षण प्राप्त किया था। इस आयोजन का उद्देश्य बच्चों के भीतर नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिक समझ को विकसित करना था, जिससे वे आधुनिक समाज की चुनौतियों का सामना आत्मविश्वास के साथ कर सकें।
शाम के समय इस्कॉन मंदिर सेक्टर 37 से यात्रा प्रारंभ हुई, जो क्षेत्र के विभिन्न मार्गों से होती हुई निकली। यात्रा के दौरान वातावरण कीर्तन और उल्लासपूर्ण नृत्य से गुंजायमान हो गया। बच्चों के उत्साह ने राहगीरों को भी आकर्षित किया और पूरा क्षेत्र कृष्ण चेतना के रंग में रंग गया।
इस अवसर पर फरीदाबाद की महापौर श्रीमती प्रवीन जोशी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। उन्होंने बच्चों को ऐसे कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया और आध्यात्मिक विकास तथा सामुदायिक सेवा के महत्व पर बल दिया। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उन्होंने बच्चों से प्लास्टिक बैग का उपयोग कम करने और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने का आग्रह किया। साथ ही, उन्होंने बच्चों को यह प्रेरणा दी कि वे अपने अर्जित ज्ञान को वंचित बच्चों के साथ साझा करें और समाज में सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना विकसित करें।
इस्कॉन स्कूल ऑफ कल्चरल वैल्यूज़ की प्रधानाचार्या कृष्ण गंगा जी ने बढ़ती हुई बच्चों की रुचि पर प्रसन्नता व्यक्त की और बताया कि स्कूल में प्रत्येक शनिवार को नियमित रूप से संस्कृति और आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान की जाती है। उन्होंने कहा कि यह मिशन श्रील प्रभुपाद की प्रेरणा से संचालित है, जिसका उद्देश्य बच्चों को शैक्षणिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाना है, ताकि वे भविष्य में एक मजबूत और संतुलित जीवन जी सकें।
ग्रीष्मकालीन शिविर और शोभा यात्रा का आयोजन इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण था कि आज के दौर में बच्चों पर तनाव और अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा का अत्यधिक दबाव है। कृष्ण चेतना के शाश्वत ज्ञान से उन्हें एक सार्थक और संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा दी जा सकती है।
यह आयोजन आध्यात्मिक विकास, रचनात्मकता और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देने की इस्कॉन स्कूल ऑफ कल्चरल वैल्यूज़ की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और समाज के अन्य संस्थानों के लिए एक प्रेरणास्पद उदाहरण प्रस्तुत करता है।

