फरीदाबाद: इस्कॉन सेक्टर 37 मंदिर में भगवान नरसिंह देव के प्राकट्य दिवस को अत्यंत श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। भक्तों ने मंदिर में एकत्र होकर भगवान के अद्भुत रूप की आराधना की और उनकी कृपा व रक्षा की कामना की।
भगवान नरसिंह, भक्तों के रक्षक और अधर्म के विनाशक के रूप में पूज्य हैं। उन्होंने भक्त प्रह्लाद महाराज की रक्षा हेतु हिरण्यकश्यप जैसे अत्याचारी राक्षस का अंत किया और यह संदेश दिया कि जो सच्चे मन से भगवान की शरण में आता है, उसकी रक्षा स्वयं भगवान करते हैं—भले ही किसी भी रूप में प्रकट होना पड़े।
भगवान नरसिंह की विशेषता यही है कि वे भक्ति मार्ग में बाधा डालने वाली हर शक्ति का संहार करते हैं, चाहे वह बाहरी हो या आंतरिक। उनकी लीला यह दर्शाती है कि वे केवल शरीर की रक्षा नहीं, बल्कि भक्त के हृदय की भक्ति की भी रक्षा करते हैं।
उत्सव की शुरुआत सुबह 4:30 बजे मंगल आरती से हुई। इसके बाद हरे कृष्ण महामंत्र का जप हुआ और भक्तों ने 7:45 बजे दर्शन आरती में भाग लेकर प्रभु का दिव्य रूप निहारा। कथा सत्र प्रातः 8:30 बजे और दोपहर 3:45 बजे आयोजित हुए, जिसमें भगवान नरसिंह की लीलाओं और प्रह्लाद महाराज की अडिग भक्ति पर चर्चा की गई।
दिन का मुख्य आकर्षण रहा अभिषेक, उल्लासपूर्ण कीर्तन और नाटिका जिसमें भगवान की लीलाओं का जीवंत चित्रण किया गया। अंत में सभी भक्तों ने प्रसाद ग्रहण कर आध्यात्मिक तृप्ति पाई।
मंदिर अध्यक्ष गोपेश्वर दास ने इस अवसर पर कहा:
“भगवान नरसिंह देव का प्राकट्य हमें यह सिखाता है कि जो प्रह्लाद महाराज जैसी अडिग भक्ति करता है, उसकी रक्षा स्वयं भगवान करते हैं। इस शुभ अवसर पर हम सभी उनके चरणों में शरण लेते हैं और उनसे अपनी भक्ति की रक्षा तथा आध्यात्मिक जीवन में उन्नति की प्रार्थना करते हैं।”
इस आयोजन ने भक्तों को भक्ति, आस्था और आत्मसमर्पण के मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी, और यह दिवस भगवान की कृपा का सजीव अनुभव बन गया।

