सूरजकुंड( अतुल्य लोकतंत्र ): देश-विदेश में ख्याति प्राप्त साबरी ब्रदर्स बैंड ने अपने सूफियाना अंदाज से शनिवार की शाम को अपनी गायकी व मौसिकी से रंगीन बना दिया।
मुख्य चौपाल पर आयोजित इस सांस्कृतिक संध्या में आफताब साबरी व हाशिम साबरी ने अपने सुर, लय व ताल से ऐसा समां बांधा कि पांडाल में बैठा हर शख्स उनके साथ कव्वाली गुनगुनाने लगा।
साबरी ब्रदर्स ने कार्यक्रम
की शुरुआत भक्ति रस से की। इसके बाद उन्होंने एक से बढक़र एक फिल्मी गाने तथा पारंपरिक कव्वाली से माहौल को सप्तरंगी कर दिया।
क्या-क्या बनाने आए थे, क्या-क्या बनाने बैठे, कहीं मंदिर बना बैठे कहीं मस्जिद बना बैठे …
से मानवता को सर्वोपरि बताया।
छाप तिलक सब छीनी रे, मो से नैना मिलाई के… पर … सुनाकर दर्शकों को श्रृंगार रस में डुबो दिया। हमने तो लूट लिया मिलकर हुस्न वालों ने… पर दर्शकों ने तालियों व से माहौल में रसरंग घोलने में मदद की।
इस बैंड ने कई बॉलीवुड फिल्मों जैसे मैं हूं ना, तेरे नाम, आहिस्ता आहिस्ता, वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई, धूम-3 में सूफी कव्वाली से दर्शकों का मनोरंजन किया। शनिवार की सांस्कृतिक संध्या में वाद्य यंत्रों पर संगीत का साथ देने वालों में फिरोज साबरी (बैंजो प्लेयर), सलीम (ढोलक वादक), आजम (कोरस), अल्तमश साबरी (कोरस), कैफ साबरी (कोरस), हेमंत (ऑक्टोपैड), विशाल (कीबोर्ड प्लेयर), आशु (ढोलकिया), आशु साबरी (तबला वादक) व नाथन (गिटार) शामिल रहे।