चंडीगढ़। रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम को गुरुग्राम के निजी अस्पताल में इलाज कराने का मामला अब पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गया है। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम साध्वी दुष्कर्म मामले और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में सजा काट रहा है। उसे इलाज के लिए गुरुग्राम के मेदांत अस्पताल में दाखिल कराने के खिलाफ रामचंद्र छत्रपति के पुत्र अंशुल छत्रपति ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है। अंशुल ने अस्पताल में गुरमीत राम रहीम की देखभाल के लिए उसके परिवार वालों और हनीप्रीत के साथ रहने पर भी एतराज किया है
चीफ जस्टिस को लिखे मांग पत्र में छत्रपति ने कहा कि यह कानून का दुरुपयोग है जिसमें हत्या व दुष्कर्म के आरोपी को इस तरह की सुविधा दी जा रही है। आज तक सरकार ने इस तरह के किसी भी मामले में इस तरह के अपराधी को इस तरह के इलाज की सुविधा नहीं दी है हाई कोर्ट इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करें व हरियाणा सरकार के आदेश को रद करे।
बता दें कि गुरमीत रहीम को सुनारिया जेल में रैपिड टेस्ट में काेरोना पाजिटिव पाया गया था। इसके बाद उसे गुरुग्राम के निजी अस्पताल मेदांता में भर्ती कराया गया। बाद में गुरमीत का कोरोना टेस्ट नेगेटिव पाया गया। गुरमीत राम रहीम को पेट में तकलीफ बताई जाती है। मेदांता में गुरमीत राम रहीम की देखभाल के लिए उसके परिवार के साथ-साथ हनीप्रीत को भी अटेंडेंट के रूप में अनुमति दे दी गई। विवाद के बाद अब बताया जा रहा ह कि हनीप्रीत को दी गई अनुमति को रद कर दिया गया है।
अंशुल छत्रपति ने कहा है कि सजायाफ्ता गुरमीत राम रहीम को निजी अस्पताल में भर्ती कराने का हरियाणा सरकार का फैसला गलत है। इसके साथ ही अस्पताल में हनीप्रीत समेत उसके परिवार वालों को गुरमीत राम रहीम के साथ रहने की इजाजत देना गलत है। अंशुल ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।