शराब नीति केस से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को मंगलवार 21 मई को हाईकोर्ट और राउज एवेन्यू कोर्ट से राहत नहीं मिली।
दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी जमानत को खारिज कर दिया। वे राउज एवेन्यू कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे थे। निचली अदालत ने 30 अप्रैल को उन्हें जमानत नहीं दी थी।
उधर, सुबह राउज एवेन्यू कोर्ट ने सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 31 मई तक बढ़ा दी। आज उनकी न्यायिक हिरासत खत्म हो रही थी, इसलिए उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जेल से कोर्ट में पेश किया गया।
हाईकोर्ट ने कहा, ‘सिसोदिया प्रभावशाली व्यक्ति, लोगों के बयान बदल सकते हैं
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, ‘सिसोदिया प्रभावशाली व्यक्ति हैं। कई लोगों ने उनके खिलाफ स्टेटमेंट दिया है। इसलिए इस संभावना को नहीं नकारा जा सकता है कि वे जमानत पर बाहर आकर इन लोगों को बयान बदलने के लिए कह सकते हैं।’ अदालत ने हफ्ते में एक दिन बीमार पत्नी से मिलने की इजाजत दे दी।
सिसोदिया करीब 15 महीने से तिहाड़ में बंद हैं। उन्हें CBI ने 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था। वहीं, ED ने 9 मार्च 2023 को CBI की FIR से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। 28 फरवरी 2023 को सिसोदिया ने दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।
हाईकोर्ट ने कहा, ‘यह केस सत्ता के दुरुपयोग का है। इनका मकसद था, ऐसी पॉलिसी बनाना जो कुछ लोगों के लिए फायदेमंद रहे और जिससे इन्हें कुछ मुनाफा मिलता रहे। याचिकाकर्ता के ऐसी पॉलिसी डिजाइन करने की इच्छा करते ही भ्रष्टाचार शुरू हो गया था।’
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जो सबूत सामने आए हैं, उससे पता चलता है कि सिसोदिया ने अपने मुताबिक नतीजे दिखाने के लिए पब्लिक फीडबैक में छेड़छाड़ की। सिसोदिया ने अपनी ही बनाई एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट को भी दरकिनार कर दिया। सिसोदिया ने कहा कि फैसला लेने की प्रक्रिया के साथ समझौता किया गया।
कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया ने CBI केस में जमानत का ट्रिपल टेस्ट पास नहीं किया था क्योंकि उन्होंने वे दो फोन पेश नहीं किए थे, जो वे इस्तेमाल करते थे। उन्होंने इन फोन के डैमेज होने का दावा किया था। कोर्ट ने कहा था कि इस संभावना को नहीं नकारा जा सकता है कि सिसोदिया सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं।