गुजरात के वडोदरा शहर में गुरुवार (18 जनवरी) को हरणी लेक में नाव पलट गई थी। इस पर 23 स्कूली बच्चे और 4 टीचर्स सवार थे। इनमें से 12 बच्चों और 2 टीचर्स की मौत हो गई। इस मामले में अब एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि लेक के रखरखाव की जिम्मेदारी एक अनुभवहीन कंपनी को दी गई थी।
साल 2016 में लेक का ठेका मेसर्स कोटिया प्रोजेक्ट को 30 साल के लिए दिया गया था। जबकि, इस कंपनी को सिर्फ स्नैक्स बनाने का ही अनुभव है। कॉन्ट्रैक्ट के वक्त कंपनी का बैंक बैलेंस शून्य था और उस समय कोई आईटी दस्तावेज भी जमा नहीं किए गए थे।
लेक का टेंडर देने के दौरान विपक्ष ने इसका विरोध भी किया था। इसके चलते टेंडर प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया था, लेकिन दो महीने बाद ही टेंडर को मंजूरी दे दी गई थी। टेंडर स्नैक्स बनाने वाली कंपनी मेसर्स कोटिया प्रोजेक्ट को मिला था।
वडोदरा नगर निगम के विपक्ष के नेता अमी रावत ने कहा कि राजनीतिक दबाव में यह ठेका दिया गया था। इसके लिए उस समय के सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
इस मामले में मेसर्स कोटिया प्रोजेक्ट के प्रबंधकों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है। वडोदरा कॉरपोरेशन में कार्यकारी अभियंता के पद पर कार्यरत राजेश चौहान ने हरणी पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई एफआईआर में कहा है कि हरणी लेक जोन में काम का वर्क ऑर्डर मेसर्स कोटिया प्रोजेक्ट को सौंपा गया है।
इसके तहत हरणी लेक परिसर में बोटिंग, खाना-पीना, बैंक्वेट हॉल वाटर पार्क जैसी मनोरंजक सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। इसलिए हादसे की पूरी जिम्मेदारी मेसर्स कोटिया प्रोजेक्ट की है।

