वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को UPA और NDA के 10 साल का कामकाज पर श्वेत पत्र पर स्पीच दी। वित्त मंत्री ने कहा कि 10 साल के कामकाज पर ये श्वेत पत्र बड़ी ही जिम्मेदारी के साथ रखा गया है।
सीतारमण ने कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, कोल स्कैम, NPA, कोल ब्लॉक एलोकेशन जैसे मुद्दों के जरिए UPA सरकार पर निशाना साधा। सीतारमण ने कहा कि UPA की नीति कभी भी नेशन फर्स्ट की नहीं रही। इन्होंने फैमिली फर्स्ट नीति रखकर अर्थव्यवस्था को बदहाल कर डाला।
सीतारमण ने कहा कि इन्होंने जो सत्यानाश किया, उसे हमने सुधारा और आज ये मगरमच्छ के आंसू रो रहे हैं। स्पीच के अंत में सीतारमण ने कहा कि हमारी जिम्मेदार सरकार ने अर्थव्यवस्था को बहुत खराब स्थिति से उबारा है। आज यहां पहुंचे हैं तो 10 साल की मेहनत है। 2047 में विकसित भारत बनाने वाले हम ही होंगे।
इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में भारतीय अर्थव्यवस्था पर 59 पेज का श्वेत पत्र पेश किया था। इसमें बताया गया है कि जब 2014 में मोदी सरकार ने सत्ता संभाली, तो अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में थी। 2014 में जब मोदी सरकार आई तो उसने कठोर फैसले लिए, जिससे अर्थव्यवस्था पटरी पर आई।
ये राजनीतिक घोषणा पत्र है : कांग्रेस
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने शुक्रवार को सरकार की ओर से लाए गए श्वेत पत्र को ‘राजनीतिक घोषणा पत्र’ बताया। उन्होंने कहा, ‘लोकसभा चुनाव से पहले इस पत्र को लाने के समय से यह साबित हो गया है। उन्होंने कहा कि, यूपीए ने सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, भोजन का अधिकार और मनरेगा जैसे अधिनियम बनाए, जिन्होंने देश की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक नींव को मजबूत किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा यूपीए और एनडीए शासनकाल की तुलना करते हुए प्रस्तुत श्वेत पत्र पर बहस में भाग लेते हुए, तिवारी ने कहा कि उन्हें इसके बजाय अपनी सरकार की उपलब्धियों के बारे में बात करनी चाहिए।

