जिस वैक्सीन को अभी भारत ने भी मान्यता नहीं दी है, सीरम इंस्टीट्यूट ने उसका निर्यात भी शुरू कर दिया है। नोवावैक्स की चार करोड़ खुराक इंडोनेशिया को भेजी गई हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन से पहले ही कोवैक्स को इंडोनेशिया नमान्यता दे चुका है। सीरम ने नोवावैक्स या कोवोवैक्स की एक लाख 37 हजार 500 खुराक हाल ही में इंडोनेशिया को निर्यात की हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने वैश्विक वैक्सीन आवंटन नेटवर्क गावी को इस साल के आखिर तक कोवैक्स या एस्ट्राजेनेका की चार करोड़ खुराक देने का वादा किया है। इसके लिए सीरम इंस्टीट्यूट ने अपना उत्पादन बढ़ा दिया है।
कोवोवैक्स को डब्लूएचओ प्रायोजित वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन का हिस्सा बनाया गया है जो गरीब देशों को कोरोना वैक्सीन सप्लाई करता है। कोवावैक्स संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी से आपातकालीन उपयोग की मंजूरी प्राप्त करने वाला नौवां टीका है।
अमेरिका स्थित नोवावैक्स से लाइसेंस के तहत सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित इस टीके को अब वैश्विक वैक्सीन शेयरिंग सिस्टम के तहत गरीब देशों को वितरित किया जाएगा। भारत में अभी कोवोवैक्स को इमरजेंसी उपयोग की स्वीकृति नहीं मिली है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैक्सीन कार्यक्रम के प्रमुख मारिएंजेला सिमाओ ने कहा, इस कदम का उद्देश्य खासतौर पर कम आयवालों देशों में वैक्सीन की पहुंच बढ़ाना है। कम आय वाले देशों में से 41 अभी भी अपनी आबादी के 10 फीसदी को वैक्सीन देने में सक्षम नहीं हो पाए हैं जबकि 98 देश, 40 फीसदी वैक्सीनेशन तक भी नहीं पहुंच पाए हैं।
इससे पहले भारत के ड्रग कंट्रोलर (डीसीजीआई) ने सीरम इंस्टिट्यूट को 12 से 17 साल की उम्र के बच्चों पर इस टीके के परीक्षण की मंजूरी दी थी। सीरम 100 बच्चों पर इसका परीक्षण भी कर चुकी है। परीक्षण के डाटा को डीसीजीआई को मुहैया करा दिया गया था।