Faridabad/Atulya Loktantra : हरियाणा के शिक्षा विभाग ने एक बार फिर आदेश निकालकर सभी प्राइवेट स्कूल संचालकों से 31 दिसंबर तक फार्म 6 भरने को कहा है l इस पर अभिभावक एकता मंच ने कहा है कि हर साल की तरह इस बार भी एक रूटीन प्रक्रिया के तहत यह आदेश निकालना गया है l यह अभिभावकों की आंखों में धूल झोंकने के बराबर है l
मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व जिला सचिव डॉ मनोज शर्मा ने कहा है कि फार्म 6 सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूल संचालकों को दिया गया वह लाइसेंस है जो उनको सुरक्षा कवच प्रदान करता है l स्कूल संचालक फार्म 6 में कुछ भी लिख दे सरकार की नजर में वह सही हो जाता है l खाता ना बही, स्कूल वाले जो लिख दे वही सही l
मंच के प्रदेश संरक्षक सुभाष लावा व जिला अध्यक्ष एडवोकेट शिव कुमार जोशी ने कहा है कि फार्म 6 में जो प्रस्तावित फीस का ब्यौरा दिया जाता है ,वह सही है और न्याय संगत है उसकी कोई जांच नहीं करता l पिछले 10 साल से ऐसा ही हो रहा है l स्कूल संचालक सरकार द्वारा दिए गए इस लाइसेंस रूपी फार्म 6 में कितनी भी बढ़ी हुई फीस व फंड लिखकर भेजें उसी के अनुसार स्कूल प्रबंधक मोटी फीस वसूल लेते हैं l शिकायत करने पर कहते हैं कि हमने तो फार्म 6 मैं पहले ही लिख कर दे दिया था कि हम यह फीस लेंगे सरकार ने उस पर कोई एतराज नहीं किया इसका मतलब यह हुआ कि शिक्षा विभाग ने मान लिया कि स्कूल वालों ने जो भी फीस ,फंड की राशि लिखी है वह सही है l
मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा ने कहां कि होना यह चाहिए कि 31 दिसंबर तक जमा कराए गए फार्म 6 में दर्शाई गई चालू शिक्षा सत्र की फीस और आगे शिक्षा सत्र में ली जाने वाली प्रस्तावित फीस की जांच पड़ताल होनी चाहिए l सरकारी ऑडिटर से उनके खातों की जांच कराके ऑडिट कराना चाहिए l उसके बाद ही शिक्षा निदेशक को आगे फीस बढ़ाने की अनुमति देनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है फार्म 6 एक छलावा है जो स्कूल प्रबंधकों को सहायता पहुंचाता है l अभिभावक एकता मंच शुरू से ही इसका विरोध करता आया है और यह मांग करता है कि फार्म 6 मैं लिखी हुई फीस की जांच पड़ताल ठीक प्रकार से होनी चाहिए लेकिन मंच की इस मांग को आज तक हरियाणा सरकार ने नहीं माना हैl
मंच ने आरटीआई के माध्यम से फरीदाबाद ,गुरुग्राम सहित अन्य कई जिलों में फीस एंड फंड रेगुलेटरी कमिटी के आदेश पर कराई गई प्राइवेट स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट प्राप्त की है जिसमें उपरोक्त दर्शाए गए मदों में खर्चा दिखाने की बात सामने आई है जिसे चेयरमैन एफएफआरसी ने नियम विरुद्ध माना है और शिक्षा सचिव से दोषी स्कूलों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का कहा है लेकिन शिक्षा विभाग ने आगे कोई भी उचित कार्रवाई नहीं की l मंच का लीगल सेल अब इसी को आधार मानकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में स्कूल प्रबंधकों द्वारा हर साल पढ़ाई जाने वाली फीस व फंड की वैधानिकता , फार्म 6 की उपयोगिता के बारे में एक जनहित याचिका दायर करने का प्रयास कर रहा है l यहां यह बताना बहुत जरूरी है कि दिल्ली सरकार ने एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाकर दिल्ली के सभी प्राइवेट स्कूलों के खातों की सरकारी ऑडिटर से जांच और उनका ऑडिट कराया था तो पता चला कि उन्होंने कई फालतू मदों में खर्चे दिखा रखे हैं उसके बाद भी वे लाभ में दिखाई दिए दिल्ली सरकार के कड़े रुख के कारण प्राइवेट स्कूलों को पिछले 5 साल में अभिभावकों से ली गई फालतू फीस को ब्याज सहित वापस करना पड़ा l
मंच का कहना है कि ऐसा हरियाणा में भी होना चाहिए लेकिन सरकार की ना नीति सही है और ना नीयत वह पूरी तरह से लूट व मनमानी कर रहे प्राइवेट स्कूल संचालकों के साथ है क्योंकि वह चुनावों में मोटा पैसा चंदा के रूप में देते हैं प्राइवेट बसें रैलियों के लिए देते हैं नेताओं के अपने स्कूल बने हुए हैं ऐसी हालत में वह क्यों चाहेंगे कि प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ कोई उचित कार्रवाई हो l इन शिक्षा माफियाओं की मनमानी तभी रुक सकती है जब सभी अभिभावक जागरूक और एकजुट होकर के आगे आएंगे और सड़कों पर उतर कर इस लूट व मनमानी के खिलाफ एक जन आंदोलन चलाएंगे l