भ्रष्टाचार से नगर निगम का पीछा छूटता नजर नहीं आ रहा है। अभी शहर के विभिन्न वार्डों में बगैर काम किए ही ठेकेदार को 50 करोड़ से अधिक के घोटाले को लाेग भूल भी नहीं पाए हैं कि एनआईटी के वार्ड नंबर पांच में इंटरलाकिंग टाइल्स लगाने और नाली बनाने के नाम पर एक और घोटाला सामने आया है। हैरानी की बात यह है कि इस गड़बड़ी में निगम अधिकारियों व ठेकेदारों ने मिलीभगत कर जिस वार्ड में काम होना था वहां के बदले दूसरे वार्ड की फोटो लगाकर निगम से ठेकेदार को करीब 53 लाख रुपए का पेमेंट कर दिया। एक स्थानीयवासी ने आरटीआई के जरिए पहले सभी सबूत एकत्र किए। फिर उसे सीएम मनोहरलाल और स्टेट विजिलेंस को जांच के लिए सभी रिकार्ड सहित भेजा है।
गड़बड़ी का यह है मामला
वॉर्ड नंबर 5 निवासी राम सिंह के अनुसार उनके यहां कुछ गलियों में इंटरलॉकिंग टाइल्स लगाने और नाली बनने का कार्य होना था। लेकिन निगम अधिकारियों से सांठगांठ कर ठेकेदार इन कामों में गड़बड़ी कर करीब 53 लाख रुपए खा गया। उन्होंने बताया निगम अधिकारियों ने वर्क मॉनिटरिंग सिस्टम में जिस जगह काम पूरा हो गया है वहां की फोटो न दिखा वॉर्ड नंबर 6 की गलियों की फोटो लगा फाइनेंस ब्रांच से ठेकेदार को पेमेंट करा दी। उन्हाेंने बताया करीब चार माह से गड़बड़ी के सारे सबूत आरटीआई के जरिए लेकर सीएम के पास भेजा है।
पुरानी सड़क उखाड़े बगैर उसके ऊपर ही लगा दी इंटरलॉकिंग टाइल्स
शिकायतकर्ता के अनुसार वॉर्ड नंबर 5 की जिन गलियों में इंटरलॉकिंग टाइल बिछाई जानी थी वहां पहले से ही सीमेंटेड सड़क बनी थी। ठेकेदार ने उस सड़क को उखाड़े बिना ही उसी के ऊपर इंटरलॉकिंग टाइल बिछा दी। यही नहीं ठेकेदार ने बिल में लिख दिया कि इन गलियों से सरप्लस मिट्टी उठाई गई है। उनका आरोप है कि यहां की मिट्टी उठाई ही नहीं गयी। जबकि ठेकेदार ने मिट्टी बाहर ले जाने का भी बिल पास कराया है।
मेजरमेंट बुक में भी गडबड़ी| अधिकारियों और ठेकेदारों ने मेजरमेंट बुक में भी गड़बड़ी की है। मेजरमेंट बुक में त्रिलोक सिंह रावत वाली गली की लंबाई 410 फुट तथा चौडाई 14 फुट 6 इंच दिखाई गई है। जबकि इस गली की सही लंबाई 292 फुट है। इसी तरह राम नागपाल वाली की लंबाई मेरजमेंट बुक में 286 फुट दिखाई गई है जबकि इस गली की लंबाई भी 292 फुट है। उनका कहना है कि जिन गलियों का ठेकेदार ने मेजरमेंट बनाया है वे गलियां मौके पर है ही नहीं।
काम कहीं, फोटो कहीं और की| शिकायतकर्ता के अनुसार निगम ने वर्क मॉनिटरिंग सिस्टम का एक पोर्टल बनाया है। इसमें सभी अधिकारियों को अपने कार्यों का काम पूरा होने के बाद वहां की ताजा फोटो अपलोड करनी होती है। इसी आधार पर फाइनेंस ब्रांच से पेमेंट होती है। लेकिन निगम अधिकारियों ने मिलीभगत कर दूसरे वार्ड की फोटो पोर्टल पर अपलोड करा ठेकेदार को पेमेंट करा दी।
मेरे पास इस तरह की गड़बड़ी की कोई शिकायत अभी नहीं आई है। चूंकि मामला वर्ष 2018 का है जबकि हमारी ज्वाइनिंग वर्ष 2021 में हुई है। फिर भी यदि शिकायत आती है तो जरूर इसकी जांच कराई जाएगी।