Gaumukh Uttarakhand: यह 27 घन किलोमीटर से अधिक की अनुमानित मात्रा के साथ हिमालय में सबसे बड़ा है। यह एक पवित्र हिंदू तीर्थ स्थल है, जो गंगोत्री की यात्रा करने वाले कई लोगों द्वारा दौरा किया जाता है। यह गंगोत्री से लगभग 20 किमी दूर है और ट्रेकिंग द्वारा पहुँचा जा सकता है। गौमुख ग्लेशियर : 12 हजार करोड़ रुपये की 889 किमी लम्बी चार धाम सड़क चौड़ीकरण परियोजना के अन्तर्गत 10-24 मीटर तक सड़क चौड़ी करने से अब तक दो लाख से अधिक छोटे-बड़े पेड़-पौधों को काटा जा चुका है।
यह केन्द्र सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना है।
मध्य हिमालय में स्थित उत्तराखण्ड के
- गंगोत्री
- यमुनोत्री
- केदारनाथ
- बद्रीनाथ
- पिथौरागढ़
उत्तराखंड में गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग और यमुनोत्री राष्ट्रीय
सड़क को चौड़ा करने के लिये सन् 2016 से काम चल रहा है।
सर्वविदित है कि यहाँ के ऊँचे-नीचे पर्वत, घाटियाँ बाढ़, भूस्खलन, भूकम्प के लिये अत्यंत संवेदनशील हैं।
यहाँ की भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी, यमुना आदि नदियों का जल हिमनदों और इसमें मिलने वाली छोटी नदियों, झरनों पर आधारित है।
इन्हीं नदियों के किनारों से होकर चार धाम के लिये पहले से ही 4-6 मीटर तक डामर वाली सड़क मौजूद हैं। अब इसे 10-24 मीटर तक चौड़ा करने से संवेदनशील खड़े पहाड़ों की चट्टानों को काटकर टनों मिट्टी मलबे के साथ चौड़ीकरण के दौरान सीधे गंगा और इसकी सहायक नदियों में उड़ेला गया है।
Gaumukh: गौमुख – उत्तराखंड में गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग और यमुनोत्री राष्ट्रीय
इस कार्य में विस्फोटों और भीमकाय जेसीबी मशीनों के प्रयोग से पहाड़ अस्थिर और संवेदनशील बन गये हैं।
चार धाम सड़क मार्ग पर बने दर्जनों डेंजर जोन इसका उदाहरण हैं, जहाँ पर वर्षात् के समय आवाजाही संकट में पड़ जाती है।
- इस भारी निर्माण के कारण पहाड़ों की उपजाऊ मिट्टी बर्बाद हुई है।
- अनेक जलस्रोत सूख गये हैं।
जहाँ सड़कों के किनारे पर तीथयात्रियों को ठंडा जल मिल जाता था अब वहाँ सीमेंटेड दीवारें खड़ी हो गई हैं।
- यहाँ की अनेक छोटी-छोटी बस्तियां,
- ग्रामीण बाजार जहाँ पर लोगों की आजीविका के अनेक साधन जैसे होटल,
- ढाबे,
- दुकान आदि प्रभावित हुये हैं।
- कृषि भूमि और चारागाह समाप्त हुये हैं।
- वहाँ 10-24 मीटर तक चौड़ीकरण का कार्य किया गया है।
- जिसने पहाड़ की जड़ें हिला कर रख दी हैं।
- चार धाम सड़क चौड़ीकरण का विरोध गढ़वाल और कुमांऊ दोनों क्षेत्र में हुआ है।
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाई पॉवर कमेटी का गठन भी किया गया था,
- जिसकी सिफारिशें हाशिये पर चली गई हैं।
इस बर्बादी का कारण है कि यहाँ की भौगोलिक संरचना के अनुसार जहाँ केवल 7-8 मीटर चौड़ी सड़क बन सकती थी
ऑलवेदर के नाम से विख्यात इस चार धाम सड़क
का कार्य अभी उत्तरकाशी से गंगोत्री के बीच लगभग 95 किमी में ही बाकी बचा हुआ है,
- उत्तराखंड में गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग और यमुनोत्री राष्ट्रीय
- जिसपर देवदार जैसे दुर्लभ प्रजाति के पेड़ों को काटा जाना है,
- जिन पर निशान लगे हुये हैं।
- वन विभाग ने केवल बड़े पेड़ों पर निशान लगाये हैं
लेकिन इसके बीच में असंख्य छोटे-छोटे पेड़ों व जैव विविधता को गिनती से हटा दिया है
जिसके कारण यहाँ पर 2 लाख से अधिक देवदार के पेड़ों को नुकसान पहुँचाने की तैयारी चल रही है।
यहाँ सबसे अधिक पेड़ सुक्खी बैंड से सीधे झाला तक प्रस्तावित की जा रही टनल मार्ग से जांगला,
गंगोत्री तक कटेंगे,
जिसकी लम्बाई लगभग 20 किमी है।
इस जंगल को बचाने का विकल्प भी शासन प्रशासन को पत्र भेजकर दिया गया है।
Gaumukh: गौमुख – यदि सरकार यहाँ के संवेदनशील
कैसे पर्यावरण की रक्षा में सहायता करें: पर्यावरण की रक्षा के लिये ध्यान दें तो यहाँ पर देवदार के वनों को बचाने के लिये
- जसपुर से पुराली,
- हर्षिल,
- बगोरी,
- मुखवा (गंगा का गाँव) से जॉंगला तक नयी सड़क बनायी जा सकती है।
- जहॉ पर बहुत ही न्यूनतम पेड़ों की क्षति हो सकती है। और नये गाँव भी सड़क से जुड़ जायेंगे।
लेकिन संसद में केबिनेट मन्त्री नितिन गडकरी जी ने कहा है कि वे मार्ग निर्माण में आने वाले पौधों को रिप्लाण्ट करेंगे। यह भी महत्वपूर्ण है।
दूसरी ओर झाला से जांगला तक सड़क की चौड़ाई 7 मीटर तक रखी जाए तो गंगोत्री जाने वाली गाड़ी धराली होते हुये जा सकती हैं,
और वापस आने के लिये जांगला से मुखवा, हर्षिल, बगोरी, जसपुर से सुखी होते हुये उत्तरकाशी पहुॅचा जा सकता है।
इस तरह गंगोत्री के बचे- खुचे हरे देवदार के छोडे-बडे लगभग दो लाख से अधिक पेड़ो को बचाया जा सकता है।
क्योंकि घने वनों के बीच 24-30 मीटर की चौडाई में वनों की अन्धाधुन्ध कटाई करने से भागीरथी संवेदनशील जोन को असीमित नुकसान पहुॅचायेगा।
15 मार्च 2022 को हमने गोविंद सिंह पूर्व प्रधान सुखी गाँव के साथ जिलाधिकारी मयूर दीक्षित से संपर्क किया और उन्हें पत्र सौंपकर स्थिति से अवगत कराया है।
यद्यपि उत्तरकाशी के जिलाधिकारी महोदय इन सारी समस्याओं से वाकिफ हैं
लेकिन यह केन्द्र व राज्य सरकार की इच्छा पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है।
जबकि स्थानीय स्तर पर मुखवा गॉॅव की ग्राम प्रधान शिवकला देवी के अलावा अन्य लोगों ने भी गंगोत्री के देवदार के हरे पेड़ों को बचाने के लिये
- नितिन गडकरी जी को पत्र लिखा है।
- उत्तरकाशी में ऑलवेदर चारधाम सड़क संधर्ष समिति द्वारा तेखला बाई पास से प्रस्तावित नयी सड़क निर्माण का पुरजोर विरोध चल रहा है।
- पहले से ही निर्मित सड़क पर लोगों की अनेकों व्यावसायिक गतिविधियों है, जिन्हें बचाना पड़ रहा है।
यह क्षेत्र (भागीरथी जलागम) बहुत ही संवेदनशील है।
- जहॉ बाढ़, भूस्खलन, भूकम्प से भारी तबाही हो चुकी है।
- मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना (90 मेगा) की टनल भी यहाँ पर से गुजर रही हैं
- जिसके ऊपर जामक आदि गाँव में सन् 1991 के भूकम्प से दर्जनों लोग मारे गये थे।
- इसलिए यहाँ पर बडे निर्माण कार्य जानलेवा साबित होंगें।
- इसलिये यह ध्यान रखा जाय कि यहाँ पर चल रहे बडे निर्माण कार्य सोच-समझकर किया जाय।
- निर्माण से उत्पन्न हो रहे मलवे के निस्तारण के लिये हरित निर्माण तकनीकि का उपयोग हो।
- वनों की अधिकतम क्षति रोकी जाय।
लोगों की खेती-बाडी और आजीविका की वस्तुयें जैसे होटल, ढावे, दुकानों से चल रहे रोजगार समाप्त न हो।
सुखी गाँव के नीचे नयी ऑलवेदर सड़क के लिये टनल का निर्माण न हो।
तेखला से सिरोर गॉव होते हुये हिना-मनेरी तक प्रस्तावित नयी सड़क का निर्माण रोका जाय।
यह इसलिये कि इस क्षेत्र की जैवविविधता और खेती योग्य जमीन, चारागाह, आवासीय भवनों आदि को दोहरी मार से बचाये जा सकता है।
भागीरथी में असीमित मलवा न गिरें।
इस प्रकार यहाँ के संवेदनशील पर्वतों को छेड़छाड़ से बचाकर मौजूदा सड़क मार्ग पर चल रही व्यावसायिक गतिविधियों को मजबूती प्रदान की जा सकती है।
- इससे यहाँ के लोगों का पलायन और रोजगार भी चलेगा,
- और मॉं गंगा का उद्गम स्थल भी काफी हद तक बचाया जा सकता है।
(लेखक जाने-माने पर्यावरणविद, सामाजिक कार्यकर्ता व हिमालयी अध्ययन संस्थान के अध्यक्ष हैं)
Gaumukh Deodar Tree Benefits in Hindi | गौमुख देवदार के पेड़ के फायदे व उपयोग
- देवदार कौन सा पेड़ होता है?
- देवदार की लकड़ी क्या काम आती है?
- देवदार की लकड़ी कैसे होती है?
क्या गौमुख में देवदार का पेड़ पाया जाते थे ?
10-24 मीटर तक सड़क चौड़ी करने से अब तक 2,00,000 दो लाख से अधिक छोटे-बड़े पेड़-पौधों को काटा जा चुका है। यह 27 घन किलोमीटर से अधिक की अनुमानित मात्रा के साथ हिमालय में सबसे बड़ा है। यह एक पवित्र हिंदू तीर्थ स्थल है, गंगोत्री की यात्रा
यह 27 घन किलोमीटर से अधिक की अनुमानित मात्रा के साथ हिमालय में सबसे बड़ा है। यह एक पवित्र हिंदू तीर्थ स्थल है, जो गंगोत्री की यात्रा करने वाले कई लोगों द्वारा दौरा किया जाता है। यह गंगोत्री से लगभग 20 किमी दूर है और ट्रेकिंग द्वारा पहुँचा जा सकता है।
इस पेड़ की लकड़ी बहुत ही मजबूत एवं सख्त होती है. यही कारण है कि तमाम तरह के फर्नीचर में इसका उपयोग होता है. वैज्ञानिक भाषा में सिड्रस देवदार (Cedrus Deodara) नाम से प्रसिध्द ये पेड़ 3500 से 12000 फीट की ऊंचाई पर पाया जाता है. लंबाई में ये 45 मीटर या उससे कुछ अधिक हो सकता है
A cedar is a kind of evergreen tree. Cedar is the wood of this tree.
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