पश्चिम बंगाल का चुनावी संग्राम अब थम गया है। बंगाल विधानसभा चुनाव में ‘खेला’ हो गया। भाजपा की सारी रणनीति धरी रह गई और ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने एक बार फिर बहुमत से सत्ता में वापसी कर ली। बंगाल की जीत को लेकर खीर में नमक आने से जैसी स्थिति उस वक्त बन गई, जब पता चला कि पार्टी जीत गई, लेकिन टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव हार गईं। ऐसे में सबके मन में यह सवाल है कि अब वे मुख्यमंत्री कैसे बनेंगी। आइए आपको बताते हैं कि चुनाव हारने के बावजूद मुख्यमंत्री कैसे बना जा सकता है, क्या है इसका नियम…
बंगाल की नंदीग्राम विधानसभा सीट से ममता बनर्जी के सामने उनके पूर्व सहयोगी और भाजपा प्रत्याशी सुवेंदु अधिकारी मैदान में थे। सुवेंदु अधिकारी ने 1957 वोटों से ममता बनर्जी को हरा दिया। नंदीग्राम से ममता बनर्जी चुनाव हार गईं, लेकिन राज्य में उनकी पार्टी ने तीसरी बार बहुमत से सत्ता में वापसी की है। ऐसे में लोगों के मन में एक सवाल है कि अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमत्री कैसे बनेगी और कैसे वहां की सत्ता संभालेगी?
मुख्यमंत्री बनने के लिए यूं तो विधानसभा या विधान परिषद (जिन राज्यों में दो सदन हैं) का सदस्य होना जरूरी है। अगर विधानसभा या विधान परिषद सदस्य नहीं है, तो शपथ लेने के छह माह के भीतर सदस्य बनना जरूरी होता है। नियमों के मुताबिक, मुख्यमंत्री पद की शपथ बिना विधायक रहते ली जा सकती है। इसके बाद मुख्यमंत्री को छह महीने का वक्त मिलता है। इस तय समय सीमा के अंदर उनका विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ेगा।