प्रजनन दर का मतलब है एक महिला अपने जीवन काल में औसतन कितने बच्चों को जन्म देती है। अगर औसत दर 2.1 से नीचे चली जाती है तो जनसंख्या में गिरावट आनी शुरू हो जाती है। वर्ष 1950 में औसत प्रजनन दर 4.7 थी। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार ग्लोबल प्रजनन दर 2017 में 2.4 रह गयी थी और वर्ष 2100 तक ये 1.7 से भी नीचे चली जायेगी। इस स्टडी में कहा गया है कि दुनिया की जनसंख्या 2064 में 9.7 अरब की चरम सीमा पर होगी। इसके बाद यह शताब्दी के अंत तक घट कर 8.8 अरब रह जायेगी। इस स्टडी टीम के प्रोफ़ेसर क्रिस्टोफर मरे का कहना है कि प्रजनन दर में गिरावट के पीछे कई कारण हैं । उन कारणों में अब कोरोना महामारी को भी जोड़ लिया जाना चाहिए।
अमीर देशों का हाल
एक अन्य स्टडी इटली की बोकोनी यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर आर्नस्टें आस्स्वे और उनकी टीम ने की है। इस स्टडी में अमेरिका समेत 22 अमीर देशों में जन्म दर के बारे में 2016 से 2021 की शुरुआत तक की अवधि के आंकड़ों को देखा गया। स्टडी में पता चला है कि 2020 के आखिरी महीनों तथा 2021 के शुरुआती महीनों में पिछले वर्षों की तुलना में सात देशों में जन्म दर घट गयी। सबसे ज्यादा प्रभावित देश हंगरी, इटली, स्पेन और पुर्तगाल रहे। इन देशों में क्रमशः 8.5, 9.1, 8.4 और 6.6 फीसदी की गिरावट आई। अमेरिका में जन्म दर में 3.8 फीसदी की गिरावट आई। स्टडी टीम के अनुसार अमेरिका में जन्म दर में और ज्यादा गिरावट हो सकती है क्योंकि वहां से ज्यादा डेटा नहीं मिल सका है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिन देशों में स्टडी की गयी है वहां महामारी के पहले से ही जन्म दर में गिरावट देखी जा रही थी। लेकिन कोरोना महामारी आने के बाद से जन्म दर में बहुत तीव्र गिरावट आई है। इसका मतलब है कि बच्चों के पैदा होने पर कोरोना महामारी का वास्तविक असर पड़ा है।
स्टडी के निष्कर्षों के अनुसार, फ़िनलैंड, फ़्रांस, इजरायल, जापान, नॉर्वे, दक्षिण कोरिया, स्विट्ज़रलैंड में भी कोरोना आने के बाद से जन्म दर में गिरावट और तेज उतार चढ़ाव देखा जा रहा है। प्रोफ़ेसर आस्स्वे का कहना है कि जन्म दर गिरने के पीछे संभावित कारणों में सबसे प्रमुख आर्थिक प्रभाव है। महामारी आने के बाद जिस तरह लोगों में आर्थिक अनिश्चितता हो गयी थी उससे शायद लोगों ने परिवार का विस्तार करने का इरादा स्थगित कर दिया होगा। यह स्थिति अब भी कायम है। लोग अपने काम धंधे और कमाई के बारे में अनिश्चित हैं सो ऐसे में लोग बहुत सोच समझ कर कदम उठा रहे हैं।