अर्थव्यवस्था की बुनियाद मुद्रा होती है। किसी भी देश में मुद्रा (Indian Currency) छापने की पूरी जिम्मेदारी केंद्रीय बैंक के पास होती है। केंद्रीय बैंक केंद्र सरकार के परामर्श से कार्य करता है। भारत में भी यही व्यवस्था है। अगर आप सामान जगह पर चर्चाओं को ध्यान दें तो आजकल यह सुनने को मिल रहा है कि वर्तमान विषम परिस्थिति में सरकार को नोट छापकर अर्थव्यवस्था को सुचारू ढंग से चलाना चाहिए।
हम अक्सर यह सवाल सुनते रहते हैं कि देश की करोड़ों आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती है तो क्यों नहीं सरकार पैसे छाप कर इनकी मदद करती है? आपको अगर इस सवाल के जवाब में कहा जाए कि नोट छाप कर गरीबी दूर करने की इस नीति से कोई फायदा नहीं होगा और गरीब तबका गरीब ही रहेगा तो यह जवाब एक बड़ी आबादी को गलत लगेगा।