दरअसल, सरकार ने किसानों की मांगों पर प्रस्ताव भेजा है। किसानों ने इनमें से कुछ पर आपत्तियां जताई हैं। जबकि, कुछ पर सहमत भी हुए। बता दें, आज संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से बनाई गई कमेटी की केंद्र सरकार के कुछ मंत्रियों साथ बैठक है। इस दौरान सरकार किसानों की मांगों को सुनेगी। गौरतलब है, कि मंगलवार को किसान संयुक्त मोर्चा (SKM) की बैठक हुई थी। इस दौरान सरकार की तरफ से भेजे गए प्रस्तावों पर भी चर्चा हुई थी। सरकार ने किसानों को उनकी मांगों संबंध में एक प्रस्ताव भेजा है। इस पर किसान संगठनों ने 5 घंटे तक माथापच्ची की।
किसानों की केस वापस लेने की मांग
देश भर के किसान संगठन जिन कृषि कानूनों को लेकर अब तक प्रदर्शन कर थे अब उसे सरकार ने वापस ले लिया है। हालांकि, किसान अभी भी एमएसपी (MSP) पर कानूनी गारंटी की इच्छा रखते हैं। इसके अलावा किसान आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्यप्रदेश में किसानों पर दर्ज केस को वापस लेने की मांग भी हो रही है। किसानों की एक अन्य मांग है कि लाल किला हिंसा में प्रदर्शनकारियों पर से भी दर्ज केस वापस लिए जाएं।
बता दें, कि सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) को पांच मुख्य बिंदुओं के साथ एक चिट्ठी लिखी है। इन्हीं प्रस्तावों पर किसानों की सहमति बननी है। ज्यादातर किसान आंदोलन समाप्त करने के पक्ष में हैं। बुधवार की दोपहर दो बजे फिर किसान मोर्चा की इन्हीं बिंदुओं पर बैठक है।
-सरकार का कहना है, कि एमएसपी पर प्रधानमंत्री ने स्वयं और बाद में कृषि मंत्री ने एक कमेटी बनाने की घोषणा की। इस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधि तथा कृषि वैज्ञानिक शामिल होंगे। हम इसमें साफ करना चाहते हैं कि किसान प्रतिनिधि में SKM के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
-जहां तक सवाल किसान आंदोलन के वक्त के दर्ज मामलों का है, तो यूपी सरकार और हरियाणा सरकार ने इसके लिए पूर्णतया सहमति दी है कि आंदोलन वापस लेने के बाद तत्काल केस वापस लिए जाएंगे।
-किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार के संबंधित विभाग और संघ प्रदेश क्षेत्र के आंदोलन के केस पर भी आंदोलन वापस लेने के बाद केस वापस लेने की सहमति बनी है।
-मुआवजे के लिए हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दी है। दोनों विषयों के संबंध में पंजाब सरकार ने भी सार्वजनिक घोषणा कर दी है।
-वहीं, बिजली बिल तो संसद में पेश करने से पहले सभी स्टेकहोल्डरों के अभिप्राय लिए जाएंगे।
-जहां तक पराली के मुद्दे का सवाल है तो भारत सरकार ने जो कानून पारित किया है उसकी धारा 14 व 15 में क्रिमिनल लायबिलिटी से किसान को मुक्ति दी है।