ईरान अगले 48 घंटे में इजराइल पर हमला कर सकता है। अमेरिकी सेना के बड़े अधिकारियों के हवाले से CBS न्यूज ने दावा किया है कि ईरान 100 से ज्यादा ड्रोन और दर्जनों मिसाइलों के जरिए एकसाथ हमले की तैयारी कर रहा है।
दोनों देशों के बीच तनाव इस हद तक बढ़ चुका है कि अमेरिकी सेना के अधिकारी इजराइल पहुंच चुके हैं। अमेरिका, चीन और सऊदी को फोन लगाकर सुलह की कोशिश कर रहा है।
इन सब के बावजूद अगर ईरान ने पलटवार किया तो इजराइल को दो मोर्चों पर एक साथ जंग लड़नी पड़ सकती है।
ईरान-इजराइल के बीच ये हालात कैसे बने, अब जंग लड़ने की तैयारी कर रहे ये दोनों देश कभी दोस्त होते थे, फिर दुश्मन कैसे बने… इस स्टोरी में जानिए ईरान-इजराइल की दोस्ती और दुश्मनी के अनसुने किस्से…
अभी ईरान और इजराइल जंग की आशंका क्यों जाहिर की जा रही है…
ईरान और इजराइल लंबे समय से एक-दूसरे से प्रॉक्सी वॉर लड़ रहे हैं। हालांकि, दोनों देशों के बीच कभी सीधे तौर पर बड़ी जंग नहीं हुई है।
ईरान पर आरोप है कि वह अक्सर हमास और हिजबुल्लाह जैसे संगठनों के जरिए इजराइल या उसके दूतावास पर हमले करवाता है। वहीं, इजराइल इन हमलों का जवाब सीधे तौर पर हमास, हिजबुल्लाह या ईरानी ठिकानों पर हमला कर देता है।
1 अप्रैल 2024 को सीरिया में ईरानी एंबेसी के पास इजराइली सेना की एयरस्ट्राइक इसी प्रॉक्सी वॉर का हिस्सा था। इसमें ईरान के दो टॉप आर्मी कमांडर्स समेत 13 लोग मारे गए थे। इसके बाद ईरान ने इजराइल से बदला लेने की धमकी दी है।
दोस्ती की शुरुआत: ईरान ने 1948 में ही दे दी थी इजराइल को मान्यता
साल 1948, मिडिल ईस्ट में फिलिस्तीन की जगह पर इजराइल नाम से एक नया यहूदी देश बना। मिडिल ईस्ट के ज्यादातर मुस्लिम देशों ने इजराइल को मान्यता देने से इनकार कर दिया। इस वक्त तुर्किये के बाद ईरान दूसरा मुस्लिम राष्ट्र था, जिसने 1948 में ही उसे देश के तौर पर स्वीकार कर लिया।
कहा जाता है कि ईरान ने कभी खुलकर इजराइल से दोस्ती का इजहार नहीं किया था। सब कुछ पर्दे के पीछे होता था। दोनों में नजदीकियां तब और भी बढ़ गईं जब एक अमेरिकी खुफिया ऑपरेशन ने ईरान में अपनी कठपुतली सरकार बनवा दी।
दरअसल, 15 अगस्त 1953 को जब भारत अपना छठा गणतंत्र दिवस मना रहा था, तब अमेरिकी खुफिया एजेंसी ईरान में एक चुनी हुई सरकार को गिराने की कोशिश कर रही थी। इस काम को अंजाम दे रहा था- ईरानी सेना का जनरल फजलुल्लाह जाहेदी।