प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेरे फैसले किसी को डराने के लिए नहीं हैं। उन्होंने कहा कि राम मंदिर उनके (विपक्ष) लिए राजनीतिक हथियार था। अब हुआ क्या..राम मंदिर बन गया। उनके हाथ से मुद्दा निकल गया।
पीएम मोदी ने यह बात न्यूज एजेंसी ANI को दिए एक इंटरव्यू में कही। इसे सोमवार को रिलीज किया गया। इंटरव्यू में राम मंदिर, DMK का सनातन विरोधी मुद्दा, यूक्रेन-रूस जंग, इलेक्टोरल बॉन्ड, भारत के विकास का रोडमैप जैसे कई मुद्दों पर बात की।
प्रधानमंत्री से 7 सवाल-जवाब…
सवाल: आपने कई भाषणों में कहा है कि आपका लक्ष्य 2024 नहीं, 2047 है तो 2047 तक क्या कुछ होने वाला है? क्या ये चुनाव महज फॉर्मेलिटी है।
मोदी: मैं समझता हूं कि 2047 और 2024 दोनों को मिक्सअप नहीं करना चाहिए। दोनों अलग-अलग चीजें हैं। देश जब आजादी के 75 साल मना रहा था, उसी समय मैंने यह विषय लोगों के सामने रखना शुरू किया था। मैं कहता था कि 2047 में देश की आजादी के 100 साल होंगे। ये माइलस्टोन होगा। ये ऐसी चीजें हैं, जो व्यक्ति में नए संकल्प भरती हैं। मेरा मानना है कि ये एक मौका है। 75 साल पर हम खड़े हैं और 100 साल पर पहुंचने वाले हैं। इस 25 साल का हम सर्वाधिक उपयोग कैसे करें। हर इंस्टीट्यूशन अपना लक्ष्य बनाए कि मैं इतना करूंगा।
सरा है 2024- इसमें चुनाव का जो क्रम है, वो आया हुआ क्रम है। मैं मानता हूं कि चुनाव एक ऑल टूगेदर डिफरेंट थिंग है। लोकतंत्र में चुनाव को लाइटली नहीं लेना चाहिए। यह एक बहुत बड़ा महापर्व है। मेरा मानना है कि इसे उत्सव के रूप में मनाना चाहिए। जैसे स्पोर्ट्स के इवेंट्स होते हैं, वो स्पोर्ट्समैन स्पिरिट को पैदा करते हैं। जब खेल का मैदान होता है, तब खेलने वाले, देखने वाले, स्पोर्ट्समैन स्पिरिट का एनवायर्नमेंट क्रिएट होता है।