दरअसल, कांग्रेस हाईकमान कई राज्यों में पार्टी के क्षत्रपों के आंतरिक संघर्ष से जूझ रहा है। पंजाब के अलावा राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी पार्टी गुटों में बंटी हुई है । इन गुटों के अगुआ एक-दूसरे को पटखनी देने का कोई मौका नहीं छोड़ते। छत्तीसगढ़ में पिछले दिनों वरिष्ठ मंत्री टी एस सिंह देव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ अभियान छेड़ दिया था। पार्टी हाईकमान के दखल से मामला ठंडा तो पड़ गया है मगर चिंगारी भीतर ही भीतर अभी भी सुलग रही है। राजस्थान में पिछले साल पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की बगावत के बाद कांग्रेस हाईकमान उन्हें पार्टी में रोके रखने में कामयाब जरूर हुआ मगर अभी तक स्थितियां सामान्य नहीं हुई है।
सचिन पायलट खेमा समय-समय पर पार्टी नेतृत्व की ओर से किए गए वादों को पूरा न करने का आरोप लगाता रहा है। शनिवार को पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के घटनाक्रम को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने हाईकमान पर तंज कसने वाला ट्वीट कर दिया। उनका यह ट्वीट सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया। शर्मा का ट्वीट और इसे लेकर पैदा हुए विवाद के बाद लोकेश शर्मा का इस्तीफा राजस्थान की सियासत में जबर्दस्त चर्चा का विषय बन गया है।
गहलोत के ओएसडी का हाईकमान पर तंज
हालांकि गहलोत के ओएसडी ने अपने ट्वीट में किसी का नाम नहीं लिया है। मगर उनके ट्वीट की भाषा से समझा जा सकता है कि उनका इशारा साफ तौर पर कांग्रेस हाईकमान की ओर ही है। उन्होंने शनिवार को दोपहर करीब पौने दो बजे किए गए अपने ट्वीट में कहा है कि मजबूत को मजबूर, मामूली को मगरूर किया जाए। बाड़ ही खेत को खाए, उस फसल को कौन बचाए।
शर्मा का यह ट्वीट सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हुआ और इसे लेकर उन पर निशाना साधा जाने लगा। सियासी हलकों में इसे पंजाब के बारे में हाईकमान के फैसले पर सवाल उठाने वाला ट्वीट माना गया। यह भी कहा जाने लगा कि इस ट्वीट में गहलोत की भावना को व्यक्त किया गया है।
इससे ट्वीट के बाद गहलोत के रवैये को लेकर भी सवाल उठाए जाने लगे। इस ट्वीट की आड़ में सचिन पायलट खेमे के हमलावर होने की आहट से गहलोत भी सतर्क हो गए। गहलोत के मीडिया संबंधी कामों को देखने वाले शर्मा ने देर रात अपने पद से इस्तीफा दे दिया। माना जा रहा है की गहलोत की पहल पर ही उन्होंने पद से इस्तीफा दिया है।
ओएसडी ने दी ट्वीट पर सफाई
ट्वीट को लेकर विवाद पैदा होने के बाद शर्मा की ओर से मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि मैंने आज तक पार्टी के किसी भी छोटे-बड़े नेता के खिलाफ पार्टी लाइन से हटकर कोई भी टिप्पणी नहीं की है। ओएसडी की जिम्मेदारी मिलने के बाद मैंने हमेशा मर्यादाओं का पालन किया है। फिर भी मेरे ट्वीट से अगर पार्टी, सरकार और आलाकमान की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो मैं उसके लिए क्षमा मांगता हूं। उन्होंने जानबूझकर कोई गलती न करने और इस्तीफे पर मुख्यमंत्री से फैसला करने का अनुरोध किया है।
राजस्थान में रंग दिखाएगा पंजाब का घटनाक्रम
सियासी जानकारों का मानना है कि पंजाब के घटनाक्रम का असर आने वाले दिनों में राजस्थान में भी दिख सकता है। राजस्थान कांग्रेस में भी पंजाब जैसे हालात काफी दिनों से चल रहे हैं। पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खेमों के बीच सियासी जंग चल रही थी जिसकी परिणति कैप्टन के इस्तीफे के रूप में सामने आई है।
लगभग वैसे ही हालात राजस्थान में भी हैं। यहां भी सचिन पायलट के खेमे ने काफी दिनों से मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है। सचिन पायलट की बगावत के बाद गहलोत और पायलट खेमे में काफी दिनों से जोर आजमाइश चल रही है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी अजय माकन जयपुर का कई दौरा कर चुके हैं मगर अभी तक हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। पंजाब के घटनाक्रम से पायलट खेमे को नई ताकत मिली है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में पायलट खेमा एक बार फिर पूरी सक्रियता से गहलोत के खिलाफ अभियान छेड़ सकता है।