चैत्र नवरात्र 2023, जानिए व्रत के नियम, शुभ मुहूर्त, पूजा – कलश स्‍थापना विधि

Deepak Sharma

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चैत्र नवरात्र 2023

Atulya Loktantra: इस बार चैत्र नवरात्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 से 30 मार्च 2023 तक मनाई जाएगी| इन दिनों में घरों में अखंड ज्योति जलती है, घट स्थापना की जाती है| अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन किया जाता है

 नवरात्रि शक्ति साधना का पर्व है | वैसे तो माता का प्रेम अपनी संतान पर सदा ही बरसता रहता है, पर कभी-कभी यह प्रेम छलक पड़ता है, तब वह अपनी संतान को सीने से लगाकर अपने प्यार का अहसास कराती हैं,

संरक्षण का आश्वासन देती हैं |

नवरात्रि की समयावधि भी आद्यशक्ति की स्नेहाभिव्यक्ति का ऐसा ही विशिष्ट काल है

यही शक्ति विश्व के कण-कण में विद्यमान है| शास्त्रकारों से लेकर ऋषि-मनीषियों सभी ने एकमत होकर शारदीय नवरात्रि की महिमा का गुणगान किया है

नवरात्रि के पावन पर्व पर देवता अनुदान-वरदान देने के लिए स्वयं लालायित रहते हैं| नवरात्रि की बेला शक्ति आराधना की बेला है| माता के विशेष अनुदानों से लाभान्वित होने की बेला है| हम चाहें या न चाहें परिवर्तन तो होना ही है, सृष्टि की संचालिनी शक्ति इस विश्व-वसुन्धरा के कल्याण के लिए कटिबद्ध है|

आत्मसुधार कर हम भी उसके उद्देश्य में सहयोगी बनें, यही इस नवरात्रि का संदेश है|

नवरात्रि (Navaratri or Navratri 2023) यानी कि नौ रातें| चैत्र नवरात्रि हिन्‍दुओं के प्रमुख त्‍योहारों में से एक हैं जिसे दुर्गा पूजा (Durga Puja) के नाम से भी जाना जाता है| नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है| नवरात्रि (Navratri 2023) के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है| इस दौरान लोग देवी के नौ रूपों की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं| मान्‍यता है कि इन नौ दिनों में जो भी सच्‍चे मन से मां दुर्गा की आराधना करता है उसकी सभी इच्‍छाएं पूर्ण होती हैं| यह पर्व बताता है कि झूठ कितना भी बड़ा और पाप कितना भी ताकतवर क्‍यों न हो अंत में जीत सच्‍चाई और धर्म की ही होती है|

कब से शुरु है शारदीय नवरात्रि ?

शारदीय नवरात्रि (Sharad Navratri) को मुख्‍य नवरात्रि माना जाता है| हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार यह नवरात्रि शरद ऋतु में अश्विन शुक्‍ल पक्ष से शुरू होती हैं और पूरे नौ दिनों तक चलती हैं| ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह त्‍योहार हर साल सितंबर-अक्‍टूबर के महीने में आता है| इस बार शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से शुरू होकर 23 अक्‍टूबर तक है| 24 अक्‍टूबर को विजयदशमी या दशहरा (Vijayadashami or Dussehra) मनाया जाएगा|

शारदीय नवरात्रि की तिथियां

  • 22 मार्च 2023: नवरात्रि का पहला दिन, प्रतिपदा, कलश स्‍थापना, चंद्र दर्शन और शैलपुत्री पूजन
  • 23 मार्च 2023: नवरात्रि का दूसरा दिन, द्व‍ितीया, बह्मचारिणी पूजन
  • 24 मार्च 2023:  नवरात्रि का तीसरा दिन, तृतीया, चंद्रघंटा पूजन
  • 25 मार्च 2023: नवरात्रि का चौथा दिन, चतुर्थी, कुष्‍मांडा पूजन
  • 26 मार्च 2023: नवरात्रि का पांचवां दिन, पंचमी, स्‍कंदमाता पूजन
  • 27 मार्च 2023: नवरात्रि का छठा दिन, षष्‍ठी, सरस्‍वती पूजन
  • 28 मार्च 2023: नवरात्रि का सातवां दिन, सप्‍तमी, कात्‍यायनी पूजन
  • 29 मार्च 2023: नवरात्रि का आठवां दिन, अष्‍टमी, कालरात्रि पूजन, कन्‍या पूजन
  • 30 मार्च 2023: नवरात्रि का नौवां दिन, नवमी, महागौरी पूजन, कन्‍या पूजन, नवमी हवन, नवरात्रि पारण

नवरात्रि का महत्‍व

हिन्‍दू धर्म में नवरात्रि (Navratri 2023) का विशेष महत्‍व है| साल में दो बार नवरात्र‍ि पड़ती हैं,

  • जिन्‍हें चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri)
  • शारदीय नवरात्र (Sharad Navratri)

के नाम से जाना जाता है|

  • जहां चैत्र नवरात्र से हिन्‍दू वर्ष की शुरुआत होती है वहीं,
  • शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri) अधर्म पर धर्म और असत्‍य पर सत्‍य की विजय का प्रतीक है|

यह त्‍योहार इस बात का द्योतक है कि मां की ममता जहां सृजन करती है| वहीं, मां का विकराल रूप दुष्‍टों का संहार भी कर सकता है| नवरात्रि और दुर्गा पूजा मनाए जाने के अलग-अलग कारण हैं| मान्‍यता है कि देवी दुर्गा ने महिशासुर नाम के राक्षस का वध किया था| बुराई पर अच्‍छाई के प्रतीक के रूप में नवरात्र में नवदुर्गा की पूजा की जाती है| वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि साल के इन्‍हीं नौ दिनों में देवी मां अपने मायके आती हैं| ऐसे में इन नौ दिनों को दुर्गा उत्‍सव के रूप में मनाया जाता है|

कैसे मनाते हैं चैत्र नवरात्र 2023 का त्‍योहार ?

चैत्र नवरात्र 2023 का त्‍योहार पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है| उत्तर भारत में नौ दिनों तक देवी मां के अलग-अलग स्‍वरूपों की पूजा की जाती है| भक्‍त पूरे नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लेते हैं| पहले दिन कलश स्‍थापना की जाती है और फिर अष्‍टमी या नवमी के दिन कुंवारी कन्‍याओं को भोजन कराया जाता है| इन नौ दिनों में रामलीला का मंचन भी किया जाता है|

वहीं, पश्चिम बंगाल में नवरात्रि के आखिरी चार दिनों यानी कि षष्‍ठी से लेकर नवमी तक दुर्गा उत्‍सव मनाया जाता है|

  • नवरात्रि में गुजरात और महाराष्‍ट्र में डांडिया रास और गरबा डांस की धूम रहती है|
  • राजस्‍थान में नवरात्रि के दौरान राजपूत अपनी कुल देवी को प्रसन्‍न करने के लिए पशु बलि भी देते हैं|
  • तमिलनाडु में देवी के पैरों के निशान और प्रतिमा को झांकी के तौर पर घर में स्‍थापित किया जाता है, जिसे गोलू या कोलू कहते हैं| सभी पड़ोसी और रिश्‍तेदार इस झांकी को देखने आते हैं|
  • कर्नाटक में नवमी के दिन आयुध पूजा होती है| यहां के मैसूर का दशहरा तो विश्‍वप्रसिद्ध है|

चैत्र नवरात्र 2023 व्रत के नियम –

अगर आप भी नवरात्रि (Navratri) के व्रत रखने के इच्‍छुक हैं, तो व्रत रखन के लिए इन नियमों का पालन करना चाहिए|

  • नवरात्रि के पहले दिन कलश स्‍थापना कर नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लें|
  • पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें|
  • दिन के समय आप फल और दूध ले सकते हैं|
  • शाम के समय मां की आरती उतारें|
  • सभी में प्रसाद बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें|
  •  फिर भोजन ग्रहण करें|
  •  हो सके तो इस दौरान अन्‍न न खाएं, सिर्फ फलाहार ग्रहण करें|
  • अष्‍टमी या नवमी के दिन नौ कन्‍याओं को भोजन कराएं, उन्‍हें उपहार और दक्षिणा दें|
  • अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें|

कलश स्‍थापना

नवरात्रि (Navratri 2023) में कलश स्‍थापना का विशेष महत्‍व है| कलश स्‍थापना (Kalash Sthapana) को घट स्‍थापना भी कहा जाता है| नवरात्रि की शुरुआत घट स्‍थापना के साथ ही होती है| घट स्‍थापना शक्ति की देवी का आह्वान है| मान्‍यता है कि गलत समय में घट स्‍थापना करने से देवी मां क्रोधित हो सकती हैं| रात के समय और अमावस्‍या के दिन घट स्‍थापित करने की मनाही है| घट स्‍थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है| अगर किसी कारण वश आप उस समय कलश स्‍थापित न कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्‍थापित कर सकते हैं| प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है| सामान्यत: यह 40 मिनट का होता है| हालांकि इस बार घट स्‍थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्‍ध नहीं है|

कलश स्‍थापना की तिथि और शुभ मुहूर्त

कलश स्‍थापना का शुभ मुहूर्त: 22 मार्च 2023 को सुबह 06 बजकर 32 मिनट से सुबह 07 बजकर 35 मिनट तकर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है.

कुल अवधि: घटस्थापना के लिए साधक को 01.10 मिनट का समय मिलेगा| चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना करने से 9 दिन की पूजा पुण्य फलदायी होती है|

कलश स्‍थापना की सामग्री

मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें| इसके अलावा कलश स्‍थापना के लिए

  • मिट्टी का पात्र,
  • जौ,
  • मिट्टी,
  • जल से भरा हुआ कलश,
  • मौली,
  • इलायची,
  • लौंग,
  • कपूर,
  • रोली,
  • साबुत सुपारी,
  • साबुत चावल,
  • सिक्‍के,
  • अशोक या आम के पांच पत्ते,
  • नारियल,
  • चुनरी,
  • सिंदूर,
  • फल-फूल,
  • फूलों की माला

और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए.

कलश स्‍थापना कैसे करें?

  • चैती नवरात्रि 2023 के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्‍नान कर लें
  •  मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्‍योत जलाएं| – कलश स्‍थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं
  • अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्‍वास्तिक बनाएं| लोटे के ऊपरी हिस्‍से में मौली बांधें
  • अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें
  • इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं
  • अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें| फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें |
  • अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं
  • कलश स्‍थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्‍प लिया जाता है
  • आप चाहें तो कलश स्‍थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्‍योति भी जला सकते हैं

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