Rajasthan/Atulya Loktantra: राजस्थान में चल रहा सियासी घमासान अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. एक तरफ अदालत में लड़ाई लड़ी जा रही है, तो अदालत के बाहर भी जुबानी जंग चल रही है. सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पूर्व डिप्टी सचिन पायलट को नाकारा, निकम्मा तक कह दिया, जवाब में सचिन पायलट ने कहा कि उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है.
दूसरी ओर आज भी हाईकोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी, जहां सचिन पायलट गुट ने स्पीकर के नोटिस के खिलाफ याचिका लगाई है. राजस्थान विधानसभा के स्पीकर द्वारा बागी विधायकों को दिए गए नोटिस का भी आज आखिरी दिन है.
बड़े अपडेट्स:
09.30 AM: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज एक बार फिर कांग्रेल विधायक दल की बैठक बुलाई है. ये बैठक उसी होटल में होगी, जहां पर विधायक ठहरे हुए हैं.
09.10 AM: राजस्थान के मुख्य सचिव आज केंद्र सरकार को टेलीफोन टेपिंग के मामले में जवाब सौंपेंगे. सरकारी सूत्रों के अनुसार, राजस्थान सरकार ने कहा है कि वह संजय जैन का टेलीफोन टेप कर रहे थे क्योंकि उसकी गतिविधियां संदिग्ध थी. हमने किसी भी राजनीतिक व्यक्ति का टेलीफोन टेप नहीं किया है.
हाईकोर्ट में जारी है सुनवाई
स्पीकर के द्वारा सचिन पायलट समेत 19 बागी विधायकों को नोटिस दिया गया, जिसके खिलाफ याचिका दायर की गई है. सोमवार को सचिन पायलट गुट की ओर से हरीश साल्वे की बहस पूरी हुई और फिर स्पीकर की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी बात रखी. सिंघवी ने दलील दी है कि अभी स्पीकर ने किसी विधायक को अयोग्य घोषित नहीं किया है, ऐसे में अदालत का हस्तक्षेप करना ठीक नहीं है.
अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट
कानूनी लड़ाई से इतर राजस्थान में जुबानी जंग जारी है. सोमवार को अशोक गहलोत ने कहा कि उन्हें पता था कि सचिन पायलट निकम्मा है और नाकारा है, वह बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश रच रहे थे. राजस्थान के सीएम ने कहा कि पिछले लंबे वक्त से वो नोटिस कर रहे थे, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए ही सचिन पायलट को अपनी सरकार गिराने में दिलचस्पी थी.
इस बड़े हमले के बाद सचिन पायलट का एक बयान भी सामने आया, जहां उन्होंने कहा कि उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है. हालांकि, सचिन पायलट का ये बयान अशोक गहलोत नहीं बल्कि उस विधायक को लेकर था जिसने सचिन पायलट पर 35 करोड़ रुपये का ऑफर देने का आरोप लगाया था.
गौरतलब है कि कांग्रेस की ओर से कई बार सचिन पायलट से पार्टी में वापसी की अपील की जा चुकी है, लेकिन स्थानीय स्तर पर अशोक गहलोत विरोध कर रहे हैं. ऐसे में अब अदालत पर निगाहें हैं, क्योंकि अगर बहुमत साबित करने की बात आती है तो गहलोत सरकार के सामने संकट हो सकता है. क्योंकि अभी अशोक गहलोत के पास सिर्फ बहुमत जितने या एक अधिक समर्थन है, ऐसे में अंतिम वक्त पर कुछ विधायक इधर-उधर हुए तो सरकार खतरे में आ सकती है.