New Delhi/Atulya Loktantra : पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे पर अपने सबसे करीबी देश सऊदी अरब का भी साथ नहीं मिल रहा है. पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन ने कूटनीतिक सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सऊदी अरब कश्मीर मुद्दे पर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की विदेश मंत्रियों के स्तर की बैठक बुलाने के लिए तैयार नहीं है. बता दें कि 9 फरवरी को ओआईसी के वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर की बैठक होगी.
मुस्लिम देशों के सबसे बड़े संगठन ओआईसी से कश्मीर मुद्दे पर बैठक बुलाने की अपनी मांग पूरा ना करा पाने को लेकर इस्लामाबाद नाराजगी भी जाहिर कर चुका है. मलेशिया दौरे में पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने एक थिंक टैंक से बातचीत में भी ओआईसी पर अपनी भड़ास निकाली. उन्होंने कहा, यही वजह है कि हमारी (मुस्लिम देशों की) कोई आवाज ही नहीं है और हम पूरी तरह से बंटे हुए हैं. ओआईसी कश्मीर मुद्दे पर एक बैठक तक नहीं बुला पा रहा है.
पाकिस्तान सऊदी की अगुवाई वाले 57 सदस्य देशों वाले संगठन ओआईसी पर कश्मीर मुद्दे पर बैठक बुलाने के लिए लगातार दबाव बना रहा है लेकिन सऊदी उसकी मांगों को अनसुना कर रहा है. दिसंबर महीने में ओआईसी के स्वतंत्र स्थायी मानवाधिकार आयोग ने कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर एक रिपोर्ट सौंपी थी. हालांकि, विदेश मंत्रियों के स्तर की बैठक की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ओआईसी की बैठक को लेकर हाल ही में कहा था कि कश्मीर मुद्दे पर मुस्लिमों की एकजुटता का संदेश देने के लिए ये बहुत जरूरी है. मलेशिया दौरे में भी इमरान खान ने मुस्लिम देशों की चुप्पी को लेकर सवाल उठाए. इमरान खान ने कहा कि अगर भेदभाव धर्म के आधार पर हो रहा है तो फिर मुस्लिमों को धर्म के आधार पर एकजुट होना चाहिए.
बता दें कि ओआईसी में किसी भी कदम के लिए सऊदी का समर्थन बेहद जरूरी है क्योंकि इस संगठन में सऊदी और उसके सहयोगी देशों का ही दबदबा है. सऊदी अरब भारत से आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी को देखते हुए कश्मीर पर ओआईसी की बैठक बुलाने से बचना चाहता है. इसके लिए सऊदी ने पाकिस्तान को तमाम प्रस्ताव भी दिए जिसमें मुस्लिम देशों की एक कॉन्फ्रेंस कराने या कश्मीर-फिलिस्तीन के मुद्दे पर एक साझा बैठक कराना शामिल था. हालांकि, पाकिस्तान ओआईसी के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक कराने की अपनी मांग पर अड़ा हुआ है.
इस्लामाबाद का कहना है कि कॉन्फ्रेंस बुलाना कश्मीर मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए पर्याप्त नहीं है. दूसरी बात, इस फोरम का इस्तेमाल रियाद ईरान के खिलाफ बयानबाजी में भी कर सकता है क्योंकि सऊदी की तरफ से स्पीकर डॉ. अब्दुल्ला बिन मोहम्मद बिन इब्राहिम अल शेख की अपने कई समकक्षों के साथ मजबूत लॉबी है.
सऊदी अरब ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के विरोध में पाकिस्तान को समर्थन नहीं दिया है. तुर्की, मलेशिया और ईरान ने भले ही कश्मीर मुद्दे को लेकर अपनी चिंताएं जताई हों लेकिन सऊदी ने इस मुद्दे से दूरी बनाए रखी. पाकिस्तान की ये भी चिंता है कि फिलिस्तीन मुद्दे के साथ चर्चा कराने से कश्मीर मुद्दे को प्राथमिकता नहीं मिलेगी.
पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान, मलेशिया और तुर्की के साथ मिलकर मुस्लिम देशों का अलग गठजोड़ खड़ा करने की कोशिश कर रहा है. हालांकि, सऊदी अरब के ऐतराज जताने की वजह से इमरान खान ने मलेशिया की कुआलालंपुर समिट में हिस्सा नहीं लिया था.
इमरान के समिट में शामिल नहीं होने के बाद रियाद ने ओआईसी की विदेश मंत्रियों के स्तर की बैठक पर लचीला रुख अपनाया था. सऊदी के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान ने पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ मुलाकात में भी ओआईसी की बैठक बुलाने के संकेत दिए थे.
सऊदी के विदेश मंत्री मलेशिया समिट से दूरी बनाने के लिए पाकिस्तान को शुक्रिया अदा करने पहुंचे थे. हालांकि, उस वक्त पाकिस्तान इस मौके का फायदा उठाने में इसलिए चूक गया. उसे डर था कि तुरंत बैठक बुलाने से ऐसा लगेगा कि मलेशिया समिट से दूरी बनाने के लिए सऊदी ने उसे इनाम दिया है.
सऊदी का नरम रुख कुछ ही दिन बरकरार रहा और उसने कश्मीर पर विदेश मंत्रियों की बैठक को लेकर फिर से पुराना रुख अख्तियार कर लिया. ईरान के जनरल कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी सऊदी अरब के दौरे पर पहुंचे थे. इस दौरे में भी उन्होंने मुस्लिम देशों की बैठक को लेकर अपनी मांग दोहराई. हालांकि, उन्हें अभी तक सकारात्मक जवाब नहीं मिला है. कुरैशी ने हाल ही में बयान दिया था कि सऊदी उन्हें निराश नहीं करेगा.
फिलहाल, इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की 47वीं नियमित बैठक की तैयारियां हो रही हैं. इस बैठक में हमेशा की तरह एजेंडे में कश्मीर पर भी प्रस्ताव शामिल होगा लेकिन अलग से कोई प्रस्ताव नहीं लाया जाएगा.