Faridabad/Atulya Loktantra : डीसीपी विक्रम कपूर की आत्महत्या के मामले में एक नया खुलासा हुआ है। पता चला है कि कपूर को हनी ट्रैप में फंसाया गया था, जिससे वह परेशान थे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, उन्हें एक विडियो के जरिए ब्लैकमेल किया जा रहा था, जिसमें वह एक महिला के साथ थे। ब्लैकमेलिंग का आरोप एसएचओ अब्दुल शहीद पर है। कहा गया है कि वह 2 करोड़ रुपये की मांग कर रहे थे।
आरोपी एसएचओ शहीद को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया था। शुक्रवार को उन्हें सस्पेंड कर चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था। सूत्रों से जानकारी मिली है कि एसएचओ शहीद ने एक महिला की सहायता से कपूर को फंसाया। दोनों की एक विडियो भी कथित रूप से एसएचओ के पास थी, जिससे वह कपूर को ब्लैकमेल कर रहे थे।
सूत्र ने कहा, ‘शहीद ने इसमें अपनी महिला दोस्त की मदद ली थी। विडियो बनाकर डीसीपी से 2 करोड़ रुपये की मांग की गई। कपूर इस टेंशन में थे कि वह इतने रुपयों का इंतजाम कैसे करें? कपूर ने गुजारिश के लिए शहीद को फोन किया, लेकिन वह कपूर को गालियां देने लगे।’
एसएचओ का रेकॉर्ड साफ नहीं
शहीद के बारे में पता चला है कि वह 20 साल पहले पुलिस में सिपाही के तौर पर भर्ती हुए थे। उसके पिता आईपीएस अफसर के घर काम करते थे। उनके कहने पर ही शहीद को नौकरी मिलने में आसानी हुई थी। अपनी नौकरी के दौरान उनका रेकॉर्ड भी साफ नहीं है। सिपाही से एसएचओ तक के सफर पर भी काफी सवाल उठ रहे हैं।
मिला था सूइसाइड नोट
पुलिस ने आत्महत्या की जांच सूइसाइड नोट के आधार पर शुरू की थी। अंग्रेजी में लिखे गए नोट की पहली लाइन है ..आईएम डूइंग दिस ड्यू टु अब्दुल। फिर आगे लिखा है कि अब्दुल इंस्पेक्टर – ही वॉज ब्लैकमेलिंग। इस नोट का जिक्र डीसीपी के बेटे ने पुलिस दी शिकायत में किया था। डीसीपी के बेटे अर्जुन कपूर ने शिकायत में कहा कि उनके पिता को पिछले डेढ़ महीने से अब्दुल शहीद, एसएचओ व सतीश मलिक मानसिक तौर पर तंग कर रहे थे। दोनों आरोपी कोई झूठा इल्जाम लगा रहे थे, जिसे वह बर्दाश्त नहीं कर पाए।
भांजा भगोड़ा घोषित
डीसीपी विक्रम कपूर की आत्महत्या में आरोपी इंस्पेक्टर अब्दुल शहीद का भांजा भगौड़ा घोषित हो गया है। उसके भांजे अरशद पर संजय कॉलोनी में 6 नवंबर को ऑन ड्यूटी दो पुलिसकर्मियों को कार से रौंदने के प्रयास का आरोप है। इसका केस मुजेसर थाने में दर्ज है। अब्दुल शहीद भांजे का नाम हटवाना चाह रहा था। नाम भी हट गया था, लेकिन शिकायतकर्ता हेड कांस्टेबल पुलिस कमिश्नर के सामने पेश हो गए थे। इसके बाद कमिश्नर ने एसआईटी का गठन किया है।