Faridabad/Atulya Loktantra : जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के कम्प्यूटर इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर डाॅ. सपना गंभीर को टेलीकाॅम क्षेत्र में काॅल व कनेक्टिविटी सेवाओं में सुधार लाने के लिए उनकी खोज को पेटेंट दिया गया है। यह पेटेंट भारत सरकार के भारतीय बौद्धिक संपदा पेटेंट कार्यालय में ‘मोबाइल नेटवर्क में मोबिलिटी एंकर प्वाइंट्स का चयन’ शीर्षक से पेटेंट संख्या 309674 के साथ अगले 20 वर्षों के लिए जारी किया गया है।डाॅ. सपना गंभीर विश्वविद्यालय की पहली महिला संकाय सदस्य है, जिसे भारतीय पेटेंट कार्यालय द्वारा पेटेंट प्राप्त हुआ है, जिसके लिए वर्ष 2009 में आवेदन किया गया था।
कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने डाॅ. सपना को उनकी खोज एवं उपलब्धि के लिए बधाई दी है तथा कहा कि उनकी खोज से टेलीकाॅम सेवाओं में काॅल व कनेक्टिविटी की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है। कुलपति ने कहा कि उनकी उपलब्धि अन्य संकाय सदस्यों को भी अपने शोध को उच्च स्तर पर ले जाने के लिए प्रोत्साहित व प्रेरित करेगी। डीन इंस्टीट्यूशन्स डाॅ. संदीप ग्रोवर तथा कम्प्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष डाॅ. कोमल कुमार भाटिया ने भी डाॅ. सपना को बधाई दी है।कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय शोध संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा अनुसंधान संवर्धन बोर्ड का गठन किया गया है। प्रत्येक क्षेत्र में इनोवेशन व उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ अकादमिक-औद्योगिक सहभागिता पर बल दिया जा रहा है।
पेटेंट पर विस्तार से जानकारी देते हुए डाॅ. सपना गंभीर ने बताया कि किसी तरह से एक उपभोक्ता की दैनिक दिनचर्या का मूल्यांकन कर काॅल में होने वाली रूकावटन या काॅल ड्राॅप की समस्या को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि टेलीकाॅम प्रणाली में काॅल ड्राॅप एक प्रमुख समस्या है, जिसे उपभोक्ता प्रभावित होते है।अपने अनुसंधान के परिणामों के आधार पर उन्होंने दावा किया कि आमतौर पर उपभोक्ता की काॅल एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्विच करने पर काॅल ड्राॅप की समस्या आती है, जिसे काफी हद तक कम किया जा सकता है। इससे न सिर्फ टेलीकाम आपरेटर्स को रोजाना मिलने वाली शिकायतों से छुटकारा मिलेगा, अपितु मोबाइल सेवाओं के प्रति उपभोक्ता संतुष्टि स्तर में भी सुधार होगा। उन्होंने दावा किया कि उनके अनुसंधान 4जी व 5जी मोबाइल नेटवर्क के क्षेत्र में शोध करने के इच्छुक शोधकर्ताओं के लिए शोध का आधार बन सकता है।