Faridabad/Atulya Loktantra : देश में कोरोना की जांच के लिए नाक और गले के स्लाइवा का सैंपल लिए जाए हैं। यहां के ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स ने अब जांच का नया तरीका निकाला है। स्वाइन फ्लू की तरह लक्षण वाले Coronavirus की जांच अब मुंह की लार से लेने की तैयारी की जा रही है। यह पद्धति ज्यादा सुरक्षित मानी जा रही है।
पिछले कुछ समय से एनएच-तीन स्थित ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज इस पर शोध कर रहा था। इस शोध के परिणाम साकारात्मक आए हैं। ईएसआई और शोध करने वाली टीम अब इंडियन काउंसिल अॉफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के पास भेज कर इस नई पद्धति की परमिशन लेगी। आइसीएमआर से मंजूरी मिलने के बाद नाक व गले से सैंपल लेने के जगह मुंह की लार से भी कोरोना संक्रमण की जांच की जा सकेगी।
नई पद्धति ज्यादा सुरक्षित
शोर्धािर्थयों का दावा है कि नई पद्धति ज्यादा सुरक्षित है। इसमें कोरोना प्रभावित क्षेत्र को चिन्हित किया जाएगा। संदिग्धों को सैंपल के लिए कंटेनर दिए जाएंगे। उन्हें बताया जाएगा कि सैंपल के लिए कंटेनर में सुबह की पहली लार डालनी है। सैंपल के इन कंटेनर्स को स्वास्थ्य विभाग की टीम एकत्र करेगी और उन्हें जांच के लिए भेजेगी।
ये हैं शोधार्थी
ईएसआईसी की शोधकर्ता टीम में रजिस्ट्रार डॉ. अनिल पांडे, ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट के प्रोफेसर डॉ. गुरु प्रसाद व ईएसआइसी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. निखिल वर्मा शामिल हैं। टीम ने इस विषय में ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज के 24 मरीजों पर एक महीने तक प्रयोग किया। इन सभी मरीजों के नाक, गले एवं लार के सैंपल लिए गए थे।
इस शोध का परिणाम यह सामने आया है कि नाक व गले के सैम्पल लेने की बजाय यदि लार का सैम्पल लिया जाए, तो रिपोर्ट समान आ रही है। ऐसे में मरीज अपने घरों से ही सैम्पल ला सकेंगे, इससे स्वास्थ्य कर्मियों में कोरोना संक्रमण का खतरा कम होगा।
ठीक के साथ कम हुआ वायरस
विशेषज्ञों ने सुबह की पहली लार का सैंपल लिया था, क्योंकि सुबह लार में बैक्टीरिया एवं वायरस ज्यादा होते हैं। उसके बाद नाश्ते के बाद लार, गला एवं नाक के सैंपल की रिपोर्ट के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले। शोध में शामिल लोगों के तीनों सैंपल लगातार लिए गए। कोरोना पॉजिटिव ठीक होने के साथ लार में भी वायरस की संख्या कम होती गई।
प्रयोग सफल रहे
ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज (कोविड-19 अस्पताल) के रजिस्ट्रार डॉ. अनिल पांडे (एके पांडे) ने बताया कि टीम के साथ मिलकर शोध (लार से सैम्पल का प्रयोग) किया था। वह सफल आया है।
उन्होंने कहा कि हम इस शोध के सभी दस्तावेज तैयार कर अगले 7 से 10 दिन में इंडियन काउंसिल अॉफ मेडिकल रिसर्च में भेज देंगे। वहां से अगर शोध को मंजूरी मिल जाती हैए तो कोरोना का सैंपल लेने की प्रक्रिया काफी सरल हो जाएगी। लोग अपनी लार से भी कोरोना का टेस्ट करा सकेंगे।