Faridabad/Atulya Loktantra : हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने कहा है कि हरियाणा सरकार प्राइवेट स्कूलों को फायदा पहुंचाने की नीयत से ही 906 प्राइमरी स्कूलों को बंद कर रही है| मंच ने सरकार के इस निर्णय का पुरजोर विरोध किया है l मंच ने सरकारी स्कूलों के सभी अध्यापक संगठनों व यूनियन के पदाधिकारियों से कहा है कि वे सभी मतभेद भुलाकर एकजुट होकर सरकार के इस निर्णय का विरोध करें और सरकारी शिक्षा के अस्तित्व को बचाने में कार्य कर रहा है और मंच पूरी तरह से उनके साथ है| मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि सरकार की नीति और नियत दोनों ही शिक्षा के व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने के लिए है और वह पूरी तरह से प्राइवेट स्कूल संचालकों को खुला समर्थन प्रदान कर रही है और उन्हें बढ़ावा दे रही है|
सरकार का यह तर्क निरर्थक है कि इन स्कूलों में बच्चे कम होने के कारण उन्हें बंद करना पड़ रहा है, लेकिन वह यह जानने को व समझने को तैयार नहीं है कि इन स्कूलों में बच्चों की संख्या कम क्यों हो रही है| स्कूलों में सभी संसाधनों की कमी है| अध्यापक पूरे नहीं है जो है उन्हें गैर शैक्षणिक कार्य में लगाया जाता है| मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री व शिक्षा विभाग के अधिकारी एसी रूम में बैठकर के सरकारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए निर्णय लेते हैं| सरकारी स्कूलों में जाने में इन्हें शर्म महसूस होती है| इसकी जगह वे प्राइवेट कॉलेज व स्कूलों में मुख्य अतिथि बनकर जाते हैं और वहां से उपहार लेते हैं|
जब स्कूलों में अध्यापक नहीं होंगे और जरूरी सुविधाएं नहीं होगी बिल्डिंग खस्ताहाल होगी, तब कौन अभिभावक चाहेगा कि वह अपने बच्चों को इन स्कूलों में पढ़ाई कराए| ऐसी हालत में अभिभावक मजबूर होकर ही अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला कराते हैं और स्कूल प्रबंधकों की मनमानियां को बर्दाश्त करते हैं| मंच ने कहा है कि जब दिल्ली के सरकारी स्कूल हाईटेक बन सकते हैं और उनमें बच्चों की संख्या बढ़ सकती है, उनका रिजल्ट भी प्राइवेट स्कूलों से अच्छा आता है तो ऐसा हरियाणा में भी हो सकता है|लेकिन सरकार चाहती ही नहीं है कि सरकारी स्कूलों की दशा सुधरे उसकी नियत में खोट है|