फरीदाबाद: आज महाशिवरात्रि के अवसर पर श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में भगवान शिव का विशेष अभिषेक किया गया। इस अवसर पर दिव्यधाम के अधिष्ठाता श्रीमद जगदगुरु स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने कहा कि लोकहित में विष पीने के कारण भगवान शंकर का नाम नीलकंठ पड़ गया। आज भी लोकहित में इस प्रकार के कार्य करने वालों को नीलकंठ की उपाधि देने की परंपरा है स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने कहा कि आज के समय में विष वमन करने वालों की संख्या बहुत बढ़ गई है।आज लोग लोकहित नहीं स्वहित देखकर कार्य करते हैं और जब उनकी इच्छाओं में रुकावटें आती हैं तो वह विषवमन करते हैं। लेकिन यह परंपरा ठीक नहीं है। हमारे भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष को भी लोकहित में पी लिया था। जिससे उनका गला नीला पड़ गया था। स्वामी जी ने कहा कि आज विशेष पदों पर बैठे व्यक्तियों को नीलकंठ बनने की बहुत अधिक आवश्यकता है।
इससे पूर्व उन्होंने स्मृति स्थल पर वैकुंठवासी गुरु महाराज की समाधि, प्राचीन धूना जी और दिव्यधाम में पूजन किया। उन्होंने भगवान शिव के मूर्त रूप का षोडश उपचार विधि से पूजन कर अभिषेक किया और लोकहित के लिए प्रार्थना की। उन्होंने यहां पहुंचे भक्तों को प्रसाद एवं आशीर्वाद भी प्रदान किया। इस दौरान यहां कोविड नियमावली का पूरी तरह से पालन किया गया और मास्क और सेनिटाइजेशन के उपरांत ही भक्तों को मंदिर में प्रवेश दिया गया।