Faridabad/Atulya loktantara : बहुचर्चित कांत एंक्लेव में आखिरकार आज पीला पंजा चल ही गया, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद सुबह से ही कांत एंक्लेव में फाॅरेस्ट विभाग तोडफोड कर रहा है, 11 सितम्बर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद में अरावली पर्वतीय इलाके में अवैध तरीके से निर्मित कांत एंक्लेव को 31 दिसंबर तक पूरी तरह ढहा देने का आदेश दिया था। मगर कोर्ट में पीडित परिवारों द्वारा याचिका दायिर करने के बाद समय लगा। जिसमें बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एल एन पराशर ने कोर्ट में कांत एंक्लेव को तोडने की याचिका दायिर की और पार्टी बन गये। आज उन्हें खुशी हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना हो रही है जिससे अब अरावली बच पायेगी और जीव जंतुओं को उनका बसेरा मिल पायेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 सितम्बर 2018 को आदेश जारी करते हुए कहा था कि अरावली पर 18 अगस्त 1992 के बाद हुए अवैध निर्माण ढहा दिए जाएँ, जिसके आदेश के तहत आज कांत एंक्लेव में बडी तोडफोड की गई। सुबह से ही कांत एंक्लेव में फाॅरेस्ट विभाग तोडफोड मशीन लेकर पहुंचा और मकान तोडना शुरू कर दिया। विगत 11 सितम्बर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने कांत एंक्लेव को तोडने के लिये फाॅरेस्ट विभाग को 31 दिसबंर का समय दिया था मगर पीडित परिवारों ने कोर्ट में याचिका दायिर करवाई और मामला लटक गया, इस दौरान बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एल एन पराशर ने सुप्रीम कोर्ट में कांत एंक्लेव को तोडने के लिये याचिका दायिर कर दी और पार्टी बन गये। बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एल एन पराशर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आज उन्हें खुशी है कि आखिरकार आज कांत एंक्लेव में तोडफोड की जा रही है, अब अरावली बच पायेगी और वहां रहने वाले जीव जंतुओं को फिर से बसेरा मिलेगा। जिसके लिये वह सुप्रीम कोर्ट को बार-बार धन्यवाद करते हैं।
फरीदाबाद के सूरजकुंड रोड पर अरावली क्षेत्र में बनाई गई कांत एन्क्लेव पर 13 निर्माण तोड़े जाने के बाद बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एल एन पाराशर ने प्रतिक्रया देते हुए कहा कि इन निर्माणों को उसी समय तोड़ देना चाहिए था जब सुप्रीम कोर्ट ने इन्हे ध्वश्त करने के आदेश दिए थे।
वकील पाराशर ने कहा कि हरियाणा सरकार और फरीदाबाद के कुछ अधिकारी इन्हे बचाते रहे लेकिन ज्यादा समय तक इन्हे बचा नहीं सके। पाराशर ने कहा कि अरावली के माफियाओं को बचाने के लिए ही हरियाणा सरकार ने पीएलपीए ऐक्ट में बदलाव करने का प्रयास किया था ताकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ठेंगा दिखाया जा सके लेकिन हरियाणा सरकार की नहीं चली और अब कांत एन्क्लेव के निर्माणों को तोडना पड़ा।
पाराशर ने कहा कि 11 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने कांत एन्क्लेव पर फैसला देते हुए कहा था कि कांत एन्क्लेव की जमीन फॉरेस्ट लैंड है। जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की स्पेशल बेंच ने 18 अगस्त 1992 के बाद हुए अवैध निर्माण को ढहाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा है कि सभी निर्माणों को गिराया जाए। जमीन वापस फॉरेस्ट को दी जाए। पाराशर ने कहा कि अरावली पर अब भी अवैध निर्माण जारी हैं और कोर्ट के आदेश को अब भी ठेंगा दिखाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अरावली मामले को लेकर मैंने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दाखिल की है उसमे मैंने हाल के अवैध निर्माणों के बारे में जानकारी दी है और इन निर्माणों को भी जल्द ध्वस्त करने की मांग करूंगा।