ब्रिटेन: कश्मीरियों को भड़काने गए पाक नेताओं का उल्टा पड़ा दांव, पड़े अंडे-जूते

Deepak Sharma

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New Delhi/Atulya Loktantra : कश्मीर मुद्दे को पाकिस्तान किसी भी सूरत में अपने हाथ से निकलते हुए नहीं देखना चाहता। इसी कारण वह हर अतंरराष्ट्रीय मंच पर इसका राग अलाप रहा है लेकिन उसकी आशाओं के विपरीत कोई भी उसका साथ देने को तैयार नहीं है। हर जगह अपनी फजीहत कराने के बाद भी पाकिस्तान को चैन नहीं आ रहा है। ऐसा ही कुछ मंगलवार को लंदन में हुआ। जहां पाकिस्तानी नेता भारत विरोधी अभियान को भड़काने पहुंचे थे मगर उनकी उम्मीदों के इतर लोगों ने उन पर जूते और अंडे फेंक दिए। उनका मानना था कि पाकिस्तान अपने मतलब के लिए उनके प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहा है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी जुल्फी बुखारी कश्मीर मुद्दे पर लोगों को संबोधित करने के लिए पहुंचे थे। उनके साथ चार पाकिस्तानी नेता भी मौजूद थे। वह लंदन में भारत विरोधी अभियान को हवा देने के लिए पहुंचे थे। ब्रिटिश पाकिस्तानी और खालिस्तान समर्थक सिखों ने पार्लियामेंट स्कवायर से भारतीय उच्चायोग तक कश्मीर फ्रीडम मार्च निकाला। इस मार्च का आयोजन यूके में मौजूद जेकेएलएफ ने किया जिसके अध्यक्ष यासीन मलिक हैं।

जम्मू कश्मीर नेशनल अवामी पार्टी, यूके और जम्मू कश्मीर नेशनल स्टूडेंट फेडरेशन ने भी मार्च में हिस्सा लिया। लेकिन प्रदर्शनकारी पाकिस्तानी नेताओं की मौजूदगी से नाखुश दिखाई दिए। प्रदर्शनकारियों ने पाक नेताओं को न केवल भाषण देने से रोका बल्कि उनकी उपस्थिति पर आपत्ति भी जताई। इमरान खान ने बैरिस्टर सुल्तान महमूद चौधरी (तहरीक ए इंसाफ के पाक अधिकृत कश्मीर के अध्यक्ष) को कश्मीरी लोगों को संबोधित करने के लिए भेजा था।

प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘बैरिस्टर सुल्तान 35-40 बॉडीगार्ड के साथ आए लेकिन उनपर अंडे और जूते फेंके गए। उन्हे झंडे के डंडे से पीटा गया और उन्हें वहां से भगा दिया गया। जिस तरह से पाकिस्तान उच्चायोग भारत के खिलाफ इन घटनाओं को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा था उससे राष्ट्रवादी कश्मीरी समूह बहुत उत्तेजित हो गए थे। सभी ने पहले ही फैसला किया था कि किसी राजनीतिक नारे या भाषण और पाकिस्तानी झंडे का प्रदर्शन में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।’

पीओके के तीन और नेताओं को इमरान खान ने प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए भेजा था। जिसमें पीओके के नेता प्रतिपक्ष चौधरी एम यासीन, प्रधानमंत्री राजा फारूक हैदर और स्पीकर शाह गुलाम कादिर थे। यह सभी पार्लियामेंट स्कवायर पर पहुंचे। एक कश्मीरी प्रदर्शनकारी ने यासीन पर जूता फेंका। उन्हें लोगों को संबोधित करने की इजाजत नहीं दी गई। कादिर से माइक छीन लिया गया। राजा फारूक और कश्मीरी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई। वह मार्च का नेतृत्व करना चाहते थे लेकिन उन्हें रोक दिया गया।

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