New Delhi/Atulya Loktantra: कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का आंदोलन आज 36वें दिन में प्रवेश कर चुका है। केंद्र सरकार से सातवें दौर की वार्ता के बाद किसानों को नया साल 2021 से उम्मीदें हैं। पिछले 35 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों को निरस्त करने, एमएसपी की गारंटी सहित चार सूत्री मांगों पर किसानों की सरकार से पांच घंटे की वार्ता के सकारात्मक परिणाम सामने आए।
किसानों ने पराली और बिजली से संबंधित दोनों मुद्दों पर तो सरकार का रुख सकारात्मक होने पर दोनों पक्षों में सहमति भी बन गई। शेष बची दो मांगें किसानों के लिए भी अहम हैं, जिसपर सहमति के बाद आंदोलन खत्म करने के लिए दोनों पक्षों को तरफ से एक बार फिर नई उम्मीदों के साथ कोशिशें शुरू हो चुकी हैं। इसके तहत 4 जनवरी को फिर से बैठक होगी।
टावर तोड़फोड़ के पक्ष में नहीं हैं किसान
किसान नेताओं का कहना कि उन्होंने कॉरपोरेट्स का बहिष्कार किया, इसलिए पंजाब में मोबाइल टावरों की तोड़फोड़ के लिए नहीं कहा गया। अगर, जोश में ऐसा किया तो नहीं होना चाहिए। इससे बच्चों की पढ़ाई के अलावा जरूरी सेवाएं प्रभावित होंगी।
दर्द पर मलहम क्यों…
सरकार से वार्ता के लिए रवाना होते हुए किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि किसानों के दर्द पर मलहम क्यों, घाव चाहिए ही क्यों। किसानों की टीस बयां करते हुए कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी की गारंटी की किसान मांग कर रहे हैं।
एमएसपी पर कानून से हिचकिचाहट क्यों
शिव कुमार शर्मा(कक्काजी)का कहना है कि दो मामलों पर तो सरकार और किसानों के बीच सहमति बनी है। लेकिन कृषि कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी की गारंटी की मांग पर किसान डटे हुए हैं। कानून बनाने से अगर किसानों को फसल बेचने में परेशानी आती है तो इस संदर्भ में किसान सभी पहलुओं पर विचार करेंगे।
कमेटी बनाने पर किसान नहीं हैं राजी
भारतीय किसान यूनियन, हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि सरकार का रुख सकारात्मक रहा और वार्ता सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई है। चार जनवरी को होने वाली अगले दौर की वार्ता में कृषि कानूनों और एमएसपी की गारंटी की किसानों की मांग रहेगी। सरकार की ओर से कमेटी बनाए जाने की मांग को किसानों ने खारिज कर दिया। जब वार्ता के दोनों पक्ष आमने सामने है तो कमेटी की क्या जरूरत।