दक्षिण-पश्चिमी चीन में एक मुस्लिम बहुल शहर में चीनी पुलिस और लोगों के बीच झड़पें हुईं। हिंसा तब शुरू हुई जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस को सदियों पुरानी नजियायिंग मस्जिद की गुंबददार छत को गिराने से रोकने की कोशिश की। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि नजियायिंग मस्जिद युन्नान प्रांत में जातीय रूप से हुई मुसलमानों के लिए आस्था और धार्मिक शिक्षा का एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। चीन का ऐसा करना वहां के मुस्लिम समुदायों के लिए काफी कष्टप्रद है। शी जिनपिंग की नीतियां उनके देश में रह रहे मुस्लिम अल्पसंख्यकों की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार हैं, यह जगजाहिर है। फिर भी इस्लाम का झंडा बरदार करने वाले पाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों ने चीन में हो प्रदर्शन और वहां के मुसलमानों की स्थिति पर कुछ नहीं कहा है।
चीन में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा
मस्जिद तोड़ने के विरोध में केवल चीनी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का विरोध सामने आया। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस जैसे ही इलाके से पीछे हटी, प्रदर्शनकारियों ने गेट के बाहर धरना दिया जो रात भर जारी रहा। रविवार को सशस्त्र पुलिस के कई अधिकारियों को तैनात किया गया है। यह घटना 2020 के एक अदालत के फैसले से संबंधित थी, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद अवैध कंस्ट्रक्शन में से एक है, जिसके विध्वंस का आदेश अदालत की तरफ से दिया गया था।
चीनी सरकार ने तैयार किया डेटाबेस
टोंगहाई काउंटी पुलिस के अनुसार, 28 मई को हुई घटना से चीनी सरकार एक्शन में हैं। इसके अलावा, सरकार की तरफ से आदेश है कि इस विरोध में शामिल लोगों को 6 जून से पहले खुद को कानून प्रवर्तन में आत्मसमर्पण होगा ताकि उन्हें हल्की सजा मिल सके। इसके अलावा अल्पसंख्यकों का चीनीकरण करने पर तुली वहां की सरकार धर्मगुरुओं की निगरानी भी तेज कर दी है। वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, मई में आधिकारिक रूप से स्वीकृत इस्लामिक प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक धार्मिक गुरुओं का एक राष्ट्रव्यापी डेटाबेस लॉन्च किया गया है। चीनी सरकार के इस अभियान का खास ध्यान इस्लाम और ईसाई धर्म पर भी केंद्रित है, क्योंकि कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार को विश्वास है कि विदेशी प्रभाव विरोध की मुहिम में गहरा असर डाल सकते हैं। इसके अलावा, इसने अंतरराष्ट्रीय आदान-प्रदान और दान पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
चूं तक नहीं कर रहे पाक और तुर्की
13वीं शताब्दी की नजियायिंग मस्जिद की इमारतों को तोड़ने के साथ-साथ चार मीनारों और एक गुंबददार छत को तोड़ने की कई बार कोशिश की गई है। वहीं चीन के इस मनमाने रवैये को देखने के बाद उसके काबिल दोस्त पाकिस्तान और तुर्की ने इसके विरुद्ध सांस तक नहीं ली है। वैश्विक पटल पर इस्लाम का झंडा बुलंद करने वाले इन राष्ट्रों को चीन में हो रही मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर ज्यादती और 13वीं सदी की मस्जिद को ढहाना दिख नहीं रहा, क्योंकि जब भी चीन को लेकर इस तरह का पेंच फंसता है तो ऐसे में ये देश अपनी आंखों पर पट्टी बांध लेते हैं।