बृहन्मुंबई नगर निगम की ओर से कराए गए इस सीरो सर्वे में ग्रेटर मुंबई की 87 प्रतिशत आबादी में एंटीबॉडी पाई गई है। यानी महानगर की 87 प्रतिशत आबादी कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुकी है। बीएमसी द्वारा 12 अगस्त से 9 सितंबर के बीच किए गए सर्वे में महानगर के सभी 24 वार्डों से 8,687 लोगों के सैंपल लिए गए थे। इसमें 65 प्रतिशत लोगों को कोरोना वैक्सीन की एक खुराक दी जा चुकी थी।
जांच रिपोर्ट में सामने आया कि अनुमानतः 87 प्रतिशत आबादी में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबाडी बनी थी। यानी इतनी जनसंख्या कोरोना संक्रमित हो चुकी है। रिपोर्ट से पता चला है कि सर्वे में शामिल वे लोग जो वैक्सीन लगवा चुके हैं, उनमें से 90.26 प्रतिशत और वैक्सीन नहीं लगवाने वाले 79.86 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी मिली है। सर्वे में शामिल कुल महिलाओं में से 88.29 प्रतिशत में एंटीबॉडी बनना पाया गया है, जबकि पुरुषों में 85.07 प्रतिशत में ही एंटीबॉडी मिली है।
सर्वे में शामिल किए गए 20 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मियों में से 87.14 प्रतिशत में एंटीबॉडी का पता चला है। इसके अलावा झुग्गी क्षेत्र से लिए गए सैंपलों में से 87.02 प्रतिशत में एंटीबॉडी बनना पाया गया है।
इस बीच स्वास्थ्य विभाग द्वारा चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। जिसके अनुसार मुंबई में 23 हजार ऐसे लोग मिले हैं जो वैक्सीन लेने के बाद भी कोरोना संक्रमित हुए हैं। हालांकि इनमें से बहुत कम लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इतना ही नहीं, मरीजों के ठीक होने में भी कम दिन लगे। जिन लोगों को वैक्सीन लेने के बाद संक्रमण हुआ उनमें 14 हजार 239 लोगों को पहली डोज़ लगी थी जबकि नौ हजार एक मरीज दोनों डोज लेने के बाद संक्रमित हुए। वैक्सीन लेने के बाद मात्र 0.03 प्रतिशत लोगों को ही अस्पताल जाना पड़ा जबकि अधिकांश घर पर ही ठीक हुए।
जम्मू कश्मीर की स्थिति
एक विशेष सीरो सर्वे में राज्य के 95 प्रतिशत पुलिसकर्मियों और 91 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों में एंटीबॉडी पाई गई है। सात से 18 साल की उम्र के 78 प्रतिशत बच्चों में भी एंटीबॉडी मिली है। इसी तरह 45 वर्ष से अधिक उम्र के 89 प्रतिशत और 18 साल से अधिक उम्र के 84 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी मिली है।यानी इतने लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। जुलाई में 10 जिलों में सीरो सर्वे किया गया था।
Kya Hota Hai Serological Survey)
सीरोलॉजिकल टेस्ट खून की जांच होती है जिसके जरिये किसी एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है। इन दिनों ये टेस्ट यह पता करने के लिए हो रहा है कि कितने लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इसमें लोगों के खून में कोरोना वायरस की एंटीबॉडीज की मौजूदगी की जांच की जाती है। एंटीबॉडी एक प्रकार की प्रोटीन होती हैं, जो हमला करने वाले वायरस से लड़कर उसे खत्म कर करती हैं। किसी व्यक्ति के खून में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज पाए जाने का मतलब है कि वह कोरोना वायरस से पहले संक्रमित हो चुका है।