New Delhi/Atulya Loktantra: असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) के अधिकारियों ने एनआरसी की सूची में सुधार करने का संकेत दिया है. माना जा रहा है कि जो लोग NRC की लिस्ट में शामिल होने से वंचित रह गए थे, उन्हें अब फाइनल सूची में शामिल किया जा सकता है.
फिलहाल NRC राज्य समन्वयक कार्यालय की तरफ से सभी उपायुक्त और जिला रजिस्टर ऑफ सिटिजन पंजीकरण (DRCR) को एक आधिकारिक पत्र भेजा गया है, जिसमें उन अयोग्य लोगों का विवरण मुहैया कराने को कहा गया है जिनका नाम NRC में शामिल है.
बता दें कि NRC की अंतिम सूची पिछले साल 31 अगस्त को प्रकाशित हुई थी, जिसमें 19.06 लाख से अधिक लोग इससे बाहर हो गए थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद NRC स्टेट कोऑर्डिनेटर की आधिकारिक वेबसाइट पर लिस्ट अपलोड की गई थी जिसमें 3.11 करोड़ लोग शामिल किए गए थे जबकि 19.06 लाख से अधिक लोग NRC से बाहर हो गए थे.
NRC स्टेट कोऑर्डिनेटर हितेश देव ने सभी उपायुक्त और जिला रजिस्टर ऑफ सिटीजन पंजीकरण को एक पत्र भेजा है और उन्हें सभी विवरण मुहैया कराने को कहा है. एनआरसी स्टेट कोऑर्डिनेटर हितेश देव का कहना है कि, 31 अगस्त, 2019 को अंतिम एनआरसी के प्रकाशन के बाद पता चला है कि अपात्र लोगों के कुछ नाम अंतिम एनआरसी में हैं, विशेष रूप से संदिग्ध मतदाता (डीवी), विदेशी घोषित (डीएफ), जिनका केस फॉरेन ट्रिब्यूनल में लंबित है. ऐसे लोगों के बारे में विवरण मुहैया कराया जाए जिनका नाम एनआरसी में शामिल किया जा सकता है.
बता दें कि केंद्र ने 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि जिन बच्चों के माता-पिता को असम में एनआरसी के माध्यम से नागरिकता दी गई है, उन्हें उनके परिवारों से अलग नहीं किया जाएगा और उन्हें असम के डिटेंशन सेंटर में नहीं भेजा जाएगा.
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ के समक्ष पेश हुए असम एनआरसी से बाहर रखे गए लगभग 60 बच्चों के परिवारों की पैरवी करने वाले वकील ने कहा कि एनआरसी प्रक्रिया से जुड़े सभी दस्तावेजों को दिखाने के बावजूद बच्चों को बाहर रखा गया है, जबकि उनके माता-पिता को शामिल किया गया है. शीर्ष अदालत में अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने स्पष्ट किया कि असम में उन बच्चों को डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा जाएगा, जिनके माता-पिता को एनआरसी के माध्यम से नागरिकता प्रदान की गई है.
वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि 19 लाख लोगों को अंतिम एनआरसी सूची से बाहर रखा गया है. शीर्ष अदालत ने एनआरसी के बाद बच्चों को डिटेंशन सेंटर में भेजे जाने का आरोप लगाते हुए दर्ज की गई अपील पर केंद्र और असम सरकार को नोटिस जारी किया. शीर्ष कोर्ट ने असम सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि नवनियुक्त एनआरसी समन्वयक अपनी कुछ विवादित फेसबुक पोस्ट पर स्पष्टीकरण दें या इन्हें हटाएं.