जानकार सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी ने इस सिलसिले में एनसीपी के मुखिया और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी, शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और द्रमुक के मुखिया और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन से चर्चा की है। सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी ने विपक्ष के इन सभी बड़े चेहरों को एक बैठक के लिए आमंत्रित किया है। हालांकि अभी तक बैठक की तारीख नहीं तय की गई है मगर माना जा रहा है कि जल्द ही लंच या डिनर पर विपक्ष के इन बड़े नेताओं की बैठक हो सकती है। इस बैठक में विपक्ष की एकजुटता पर रणनीति तैयार की जाएगी।
सिब्बल के बाद सोनिया की बड़ी पहल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने हाल में अपने जन्मदिन के बहाने एक डिनर पार्टी का आयोजन किया था जिसमें विपक्ष के कई बड़े नेता मौजूद थे। कांग्रेस के असंतुष्ट माने जाने वाले खेमे जी-23 से जुड़े कई अन्य नेताओं ने भी इस डिनर पार्टी में हिस्सा लिया था। डिनर पार्टी के दौरान भी विपक्ष की एकजुटता पर चर्चा की गई थी। अब सिब्बल की पार्टी के बाद सोनिया गांधी की ओर से की गई पहल को सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सार्वजनिक कार्यक्रमों और संसद में कम दिखने वाली सोनिया गांधी ने मंगलवार और बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा लिया था। बाद में लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला की ओर से दी गई चाय पार्टी में भी वे मौजूद थीं। इस चाय पार्टी में विपक्ष के बड़े नेताओं के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी हिस्सा लिया था। कांग्रेस की ओर से इस बैठक में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी भी मौजूद थे।
सदन के बाहर भी विपक्ष ने दिखाई एकजुटता
संसद के मानसून सत्र के दौरान पेगासस मुद्दे पर विपक्ष ने जबर्दस्त एकजुटता दिखाई है। हालांकि इस दौरान सरकार करीब 19 विधेयक बिना चर्चा के पारित कराने में कामयाब रही मगर विपक्ष की एकजुटता और हंगामे के कारण अधिकांश दिनों में सदन का कामकाज पूरी तरह बाधित रहा। मानसून सत्र के बाद संसद की बैठक को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जा चुका है मगर विपक्ष इस एकजुटता को आगे भी बनाए रखना चाहता है।
इसी कड़ी में गुरुवार को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में संसद से विजय चौक तक मार्च निकाला गया। इस मार्च में एक दर्जन से अधिक विपक्षी दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान राहुल गांधी ने मोदी सरकार को घारते हुए सदन में सांसदों के साथ बदसलूकी किए जाने का बड़ा आरोप लगाया।