सुप्रीम कोर्ट में सिटीजनशिप एक्ट, 1955 के सेक्शन 6A की वैधता पर बुधवार (6 दिसंबर) को सुनवाई हुई थी। सुनवाई में वकील कपिल सिब्बल ने दावा किया था कि असम म्यांमार का हिस्सा था।असम के CM हिमंत बिस्वा सरमा ने इस दावे पर आपत्ति जताई। उन्होंने शुक्रवार (8 दिसंबर) को मीडिया से कहा- जिन्हें इतिहास का ज्ञान नहीं है, उन्हें चुप रहना चाहिए।
CM ने कहा कि असम कभी म्यांमार का हिस्सा नहीं था। म्यांमार के साथ भारत की झड़प हुई थी। इसके अलावा कोई रिश्ता म्यांमार से नहीं रहा है। मैंने ऐसा कोई डेटा नहीं देखा, जिसमें असम को म्यांमार का हिस्सा बताया गया हो।
असम विधायक ने कपिल सिब्बल की आलोचना की
असम के विधायक पीयूष हजारिका ने एक्स (पहले ट्विटर) पर कहा कि कपिल सिब्बल को ठीक से जानकारी नहीं दी गई है। असम के इतिहास में किसी भी समय, हम म्यांमार का हिस्सा नहीं थे। महाभारत काल से ही असम भारत का हिस्सा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केंद्र डेटा पेश करें
सुप्रीम कोर्ट ने सिटीजनशिप एक्ट को लेकर गुरुवार (7 दिसंबर) को केंद्र सरकार को अहम निर्देश दिए। कोर्ट ने 25 मार्च, 1971 के बाद असम और उत्तर-पूर्वी राज्यों में आए अवैध प्रवासियों का डेटा पेश करने के लिए कहा। साथ ही निर्देश दिया कि प्रवासियों के मुद्दे से निपटने के लिए सरकार के कदमों की जानकारी दें।