भारत में फाइजर और मॉडर्ना (pfizer and moderna vaccine) की कोरोना वैक्सीन मिलने की बात तो बहुत दिनों से हो रही है लेकिन अभी तक सप्लाई आई नहीं है। इसके पीछे वजह भारत सरकार (indian government) द्वारा मंजूरी नहीं दिया जाना है। मंजूरी न देने का कारण दोनों वैक्सीन निर्माताओं की कुछ शर्तें हैं।
अमेरिका ने कहा है कि वह वैक्सीन भेजने के लिए तैयार है और इसके लिए भारत सरकार की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। इसके जवाब में भारत सरकार ने अमेरिका को बताया है कि वह दान में मिली वैक्सीन प्राप्त करने के लिए कानूनी प्रावधानों की समीक्षा कर रही है और उसे इसके लिए थोड़ा समय चाहिए। अमेरिका के बिडेन प्रशासन ने कहा है कि वह भारत सरकार की तरफ से हरी झंडी मिलते ही वैक्सीन भेज देगा।
कम्पनियों की शर्तें
दरअसल फाइजर और मॉडर्ना ने ऐसी शर्तें लगा रखी हैं जिनको पूरा करने के दूरगामी परिणाम होंगे। ये कम्पनियां चाहती हैं कि इनकी वैक्सीन लगने से अगर कोई गंभीर दुष्प्रभाव आता है जो कंपनी की कोई कानूनी जिम्मेदारी नहीं होगी, ये सरकार वादा करे। पूरी जिम्मेदारी, कोर्ट केस, मुआवजे आदि सरकार देखे – समझे। इसके अलावा मॉडर्ना अपनी वैक्सीन के दाम खुद तय करना चाहती है, उसे सरकार की दखलंदाजी नहीं चाहिए।
ऐसी शर्तें पूरी करने में समस्या ये है कि ये एक नजीर बन जाएगी और बाकी कंपनियां भी ऐसी छूट मांगेंगी। सीरम इंस्टिट्यूट तो पहले ही कानूनी जिम्मेदारी से मुक्ति की मांग उठा चुका है। फाइजर और मॉडर्ना की एक शर्त ये भी थी कि उनको भारत में ट्रायल की बाध्यता से मुक्त रखा जाए। भारत ने ये शर्त मान ली है।