गुजरात के मोरबी शहर में में हुए पुल हादसे में चीफ फायर ऑफिसर संदीप सिंह जाला को लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। किसी सरकारी अधिकार के खिलाफ प्रशासन की यह पहला बड़ा एक्शन है। गुजरात पुलिस ने गुरुवार को मोरबी नगरपालिका के चीफ ऑफिसर संदीप सिंह जाला से 4 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी।
कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा
गुजरात पुलिस ने मोरबी पुल के रेनोवेशन की जिम्मेदारी दिए गए एग्रीमेंट को लेकर घड़ी निर्माता कंपनी ओरेवा ग्रुप से भी स्पष्टीकरण मांगा है। इस मामले को लेकर मंगलवार को हुई सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि ब्रिज के रेनोवेशन की जिम्मेदारी जिस कांट्रैक्टर को दी गई थी, वह इस तरह के काम कराने के योग्य नहीं हैं।
हादसे में 135 लोगों की मौत
गौरतलब है कि मोरबी में मच्छू नदी के ऊपर ब्रिटिश काल में बना सस्पेंशन पुल रविवार की शाम गिर गया था। इस घटना में 135 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। हादसे में मरने वालों में बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की रही। इस घटना को लेकर पहले ही गुजरात पुलिस नौ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें पुल के टिकट कलेक्टर से लेकर ठेकेदार तक शामिल हैं। गिरफ्तार किए गए आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
1. यह पुल पिछले 6 महीने से बंद था। क्या जल्दबाजी में चालू किया गया?
मोरबी का केबल सस्पेंशन ब्रिज 20 फरवरी 1879 को शुरू किया गया था। 143 साल पुराना होने से इसकी कई बार मरम्मत हो चुकी है। हाल ही में 2 करोड़ रुपए की लागत से 6 महीने तक ब्रिज का रेनोवेशन हुआ था। गुजराती नव वर्ष यानी 26 अक्टूबर को ही यह दोबारा खुला था। गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा एक-दो दिन में ही होने वाली है। कांग्रेस का आरोप है कि चुनावी फायदा लेने के लिए इसे बिना टेस्टिंग अफरातफरी में शुरू कर दिया गया।
2. पुल के रेनोवेशन के बाद क्या उसकी मजबूती जांची गई?
नया पुल हो या किसी पुल का रेनोवेशन किया गया हो, उसको शुरू करने से पहले जरूरी है कि उसकी मजबूती की विशेषज्ञ जांच करें। ये परखते हैं कि इस पर कितना भार दिया जा सकता है। मोरबी के नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह झाला ने कहा कि ओरेवा ने प्रशासन को सूचना दिए बिना ही लोगों को पुल पर जाने की इजाजत दे दी।
कंपनी ने न तो पुल खोलने से पहले नगरपालिका के इंजीनियरों से उसका वेरिफिकेशन कराया और न ही फिटनेस स्पेसिफिकेशन सर्टिफिकेट लिया। अब बड़ा सवाल ये है कि 26 अक्टूबर को ओरेवा कंपनी के MD जयसुख पटेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुल को चालू करने की घोषणा की थी, तब नगर पालिका ने इसे रोका क्यों नहीं?
3. प्रशासन ने घड़ी-बल्ब बनाने वाली कंपनी के जिम्मे ही छोड़ दिया पुल?
मोरबी का यह ऐतिहासिक पुल शहर की नगर पालिका के अधिकार में था। नगर पालिका ने इसकी मरम्मत की जिम्मेदारी अजंता ओरेवा ग्रुप ऑफ कंपनीज को सौंपी थी। यह इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों, कैलकुलेटर, घरेलू उपकरणों और एलईडी बल्ब बनाने वाली कंपनी है। ओरेवा ने ही देश में सबसे पहले एक साल की वारंटी के साथ एलईडी बल्ब बेचने की शुरुआत की थी।
नगर पालिका के CMO संदीप सिंह झाला ने माना कि मरम्मत के दौरान कंपनी के कामकाज की निगरानी के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं थी। यानी पूरी तरह से कंपनी के ऊपर छोड़ दिया गया कि वह पुल को कैसे और किससे बनवाती है और कब चालू करती है?