Corona Made Debtor: कोरोना महामारी के चलते आम आदमी की कमर ही टूट गयी है। बेरोजगारी (Unemployment) और पैसे की किल्लत के बीच यदि कोई कोरोना से संक्रमित हो गया और अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ गयी तो फिर ऐसे लोग अपना सब कुछ बेचने को मजबूर हो सकते हैं। जो बात एक तथ्य है उसे एक नए अध्ययन ने अपनी मुहर लगा दी है। इस अध्ययन में पाया गया है कि भारत में कोरोना के इलाज (Coronavirus Treatment Cost) पर हुआ औसत खर्च आम आदमी की सालाना आय से परे है।
मेडिकल खर्चों का 63 फीसदी बोझा उठाते हैं भारतीय
ये तो पहले से ही बताया जाता रहा है कि भारतीय लोग अपने मेडिकल खर्चों का 63 फीसदी बोझा अपनी जेब से ही उठाते हैं। अनुमान है कि कोरोना के चलते करीब सवा करोड़ लोग बेरोजगार हो चुके हैं, 3 करोड़ 20 लाख लोग मिडिल क्लास से खिसक कर नीचे चले गए हैं। मार्च में प्यू रिसर्च सेंटर ने एक स्टडी में बताया था कि कोरोना काल में भारत में गरीबों की संख्या साढ़े सात करोड़ बढ़ गयी है। ऐसे में ये लोग कैसे अपना और अपने परिवार का मेडिकल खर्चा कैसे उठाएंगे ये बहुत बड़ा सवाल है।