अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर आने वाले लोगों की संख्या में अचानक से अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर आने वाले लोगों की संख्या में अचानक से ही भारी गिरावट देखने को मिली है। ईद-उल अजहा यानी बकरीद इस साल 10 जुलाई 2022 को रविवार के दिन मनाई गई। जिसे ईद-उल फित्र के बाद मुसलमानों का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। लेकिन बकरदी के मौके पर भी दरगाह की सड़कें सूनी नजर आई। पिछले कुछ वर्षों तक ईद के मौके पर अजमेर दरगाह के बाजार गुलजार रहते थे। लेकिन इस बार लोगों की संख्या काफी कम नजर आई। जिसका सीधा असर वहां के होटल और फूल के कारोबार पर पड़ा। व्यापारियों की तरफ से कम से कम 50 करोडड के नुकसान का अंदेशा जताया गया है।
इसकी सबसे बड़ी वजह अजमेर दरगाह के खादिमों की तरफ से नुपुर शर्मों को लेकर दिए गए भड़काऊ बयानों को बताया जा रहा है। अजमेर दरगाह के खादिम सलमान चिश्ती ने वीडियो में कहा था, “जो कोई भी उस नुपुर शर्मा का सिर लाकर देगा वह उसे अपना घर दे देगा।” उन्होंने वीडियो में कहा ‘‘ आपको सभी मुस्लिम देशों को जवाब देना होगा। यह मैं अजमेर राजस्थान से कह रहा हूं और यह संदेश हुजूर ख्वाजा बाबा के दरबार से है।” भड़काऊ वीडियो बनाने व धमकाने के आरोप में अजमेर दरगाह के खादिम मौलवी को 6 जुलाई की देर रात अजमेर में गिरफ्तार कर लिया गया।
इसके अलावा उदयपुर में कन्हैयालाल की बर्बर तरीके से हत्या करने वाले गौस मोहम्मद और रियाज से भी दरगाह के खादिमों के कनेक्शन की खबर सामने आई। दोनों हत्यारे कन्हैयालाल की हत्या के बाद भाग कर अजमेर ही जाने वाले थे। वहीं अजमेर दरगाह कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने भी हिंदुओं की कमाई खत्म करने और भारत को हिला देने की बात कही थी। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसका सीधा असर वहां के व्यापार में देखने को मिला है। होटल व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक होटलों की एडवांस बुकिंग भी लगातार कैंसिल कराई जा रही है। दरगाह के फूलों की दुकानों भी विरान हैं। दरगाह बाजार क्षेत्र में व्यापार करीब 90 प्रतिशत तक कम हुआ है। यहां फूलों का व्यापार पहले की तुलना में 70% तक कम हो गया है।