उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में 10 दिन से फंसे 41 मजदूरों को निकालने की अनुमानित समय सीमा भारत सकार ने बताई है। 3 अलग-अलग प्लान हैं, जिनमें 2, 15 या 35 दिन का समय लग सकता है।
केंद्रीय सड़क और परविहन मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन और ले. जनरल सय्यद अता हसनैन (रिटायर्ड) ने पत्रकारों से बातचीत की। उनकी मुख्य बातें-
- 1- सबसे तेज ऑप्शन ऑगर मशीन का है। कोई अड़चन नहीं आई तो दो-ढाई दिन में सुरंग बन जाएगी। इसमें मलबा आने का खतरा है, इसलिए दूसरी ओर से ड्रिलिंग के लिए मशीनें बुलाई गई हैं।
- 2- अगर ऑगर के रास्ते में हार्ड रॉक और स्टील आए तो उनको काटने का भी इंतजाम है। लेकिन फिर इसमें थोड़ा और समय लगेगा।
- 3- अभी तक की जानकारी है कि ऑगर के सामने मलबा है, फिर चट्टान है, फिर मलबा है और फिर टनल की छत पर लगने वाली स्टील प्लेट हो सकती है।
- 5- दूसरा सबसे तेज ऑप्शन सिलक्यारा टनल की दोनों साइड से खोदकर रास्ता बनाने का है। इसमें 12-15 दिन लग सकते हैं।
- 6- तीसरा और सबसे लंबा तरीका डंडालगांव से टनल खोदना है। इसमें 35-40 दिन लग सकते हैं।
- 7- मजदूरों को साइकोलॉजिकल काउंसिलिंग की जरूरत होगी। हमारे दो एक्सपर्ट वहां मौजूद हैं। कम्युनिकेशन चैनल स्थापित होते ही काउंसिलिंग की जाएगी।
- 8- टनल के अंदर ज्यादा ठंड नहीं है। अभी मौसम हमारा साथ दे रहा है।
इससे पहले का पहला फुटेज मंगलवार सुबह सामने आया। इस दौरान एक मजदूर ने अपनी मां को इमोशनल मैसेज भी दिया- मां, मैं ठीक हूं। आप समय पर खाना खा लेना।
सिलक्यारा और डंडालगांव में वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू हो गई है। सिलक्यारा से ऑगर मशीन से 900 mm पाइप के अंदर अब 800 mm का पाइप डाला जा रहा है ताकि इसके सामने आई रुकावट हट सके। डंडालगांव से 6.5 मीटर टनल बना दी गई है। यहां 480 मीटर टनल बनाई जानी है।
इससे पहले अंदर फंसे मजदूरों को मंगलवार सुबह 24 बोतलों में गर्म खिचड़ी और दाल और दोपहर सेब और संतरे भेजे गए।
मंगलवार को कैमरे पर अंदर फंसे मजदूरों से बात हुई, उनकी गिनती की गई। सभी मजदूर सुरक्षित हैं। मजदूरों की हर एक्टिविटी का पता लगाने के लिए अब दिल्ली से हाईटेक CCTV मंगाए जा रहे हैं।