हरियाणा के कैबिनेट और राज्य मंत्रियों को सचिवालय रास नहीं आ रहा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आदेश के बावजूद छह मंत्री सचिवालय में स्थित अपने कार्यालयों का रुख नहीं कर रहे। 18 अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को हर मंगलवार और बुधवार को जनता के लिए सचिवालय स्थित कार्यालयों में उपस्थित रहने के आदेश दिए थे। लेकिन हैरत की बात है कि एक भी मंगलवार और बुधवार ऐसा नहीं गुजरा जिसमें पूरी कैबिनेट मौजूद रही हो। कार्यालय में न आने की मंत्रियों के भले ही अपने अपने तर्क हों, पर जनता की परेशानी ज्यों की त्यों बनी हुई है। अमर उजाला की पड़ताल में यह सामने आया है। प्रदेश में मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम को मिलाकर कुल 14 मंत्री हैं। बुधवार को सचिवालय में स्थानीय शहरी निकाय मंत्री डॉ. कमल गुप्ता और खेल मंत्री संदीप सिंह ही अपने कार्यालय में नजर आए। शेष मंत्री कार्यालय नहीं पहुंचे। पड़ताल में यह भी सामने आया है कि पांच मंत्री तो मंगलवार और बुधवार किसी भी दिन अपने कार्यालय में नहीं बैठे। इनमें शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर, कृषि मंत्री जेपी दलाल, सामाजिक न्यायिक एवं आधिकारिता मंत्री ओमप्रकाश यादव, महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा, पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली और कृषि मंत्री जेपी दलाल के नाम शामिल हैं। हालांकि, मंगलवार को कंवरपाल गुर्जर पार्टी के मुख्यालय में बैठे थे और लोगों की समस्याएं सुनी थी। इनके अलावा, पांच मंत्री मंगलवार को अपने कार्यालय पहुंचे थे, लेकिन बुधवार को नहीं आए। इनमें गृह मंत्री अनिल विज, बिजली मंत्री रणजीत चौटाला, परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा, सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल, श्रम मंत्री अनूप धानक शामिल हैं।
रोजाना कार्यालय में बैठते हैं विज
फिलहाल सचिवालय में गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की सबसे अधिक हाजिरी है। वह रोजाना दोपहर 3 बजे सचिवालय स्थित अपने कार्यालय में बैठते हैं और जनता की समस्याएं सुनने के साथ-साथ विभागीय फाइलें निपटाते हैं। वह शनिवार को अंबाला में खुला दरबार भी लगाते हैं, जिसमें सैंकड़ों की संख्या में शिकायतों का निपटारा करते हैं। इनके अलावा, ऐसा कोई भी मंत्री नहीं है जो सामान्य तौर पर रोजाना सचिवालय आते हैं। हालांकि, खनन मंत्री मूलचंद शर्मा, बिजली मंत्री रणजीत चौटाला और शिक्षा मंत्री कंवरपाल सप्ताह में कम से कम एक दिन सचिवालय में आते हैं। अधिकतर मंत्री अपने निवास स्थान से ही विभाग चलाते हैं।
भाजपा मुख्यालय में भी मंत्रियों के बैठने का शेड्यूल तय नहीं
अफसरशाही को लेकर कार्यकर्ताओं और जनता में बढ़ती शिकायतों को देखते हुए हाल ही में मंत्रियों को भाजपा के पार्टी मुख्यालय में बैठने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं। मंगलवार को शिक्षा मंत्री कंवर पाल पार्टी कार्यालय में बैठे थे, लेकिन बुधवार को कोई भी मंत्री यहां नहीं बैठा। अभी यहां बैठने के लिए मंत्रियों का रोस्टर तय होना है। पार्टी कार्यकर्ताओं समेत विधायकों की शिकायत रहती है कि अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते हैं। ऐसे में संबंधित मंत्री को शिकायत करनी हो तो वह कार्यालयों में नहीं मिलते। कुछ मंत्रियों की परफॉर्मेंस बेहद खराब है। कुछ मंत्री राज्य भर में लोगों के बीच पहुंचने के बजाय अपने हलकों तक ही सीमित होकर रह गए हैं। इसी के चलते मुख्मयंत्री ने 18 अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को जनसंवाद बढ़ाने के निर्देश जारी किए थे।