डॉ तेजेंद्र सिंह चौहान, सीनियर कंसल्टैंट, नेफ्रोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल, फरीदाबाद
Faridabad: 9th March 2020: क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ (सीकेडी) समय के साथ गुर्दों की कार्यप्रणाली के क्रमिक ह्रास को कहते हैं और यह शराब के सेवन, धूमप्रान, गैर सेहतमंद लाइफस्टाइल, डायबिटीज़, हाइ ब्लड प्रेशर जैसे अनेक कारणों के चलते होता है। सीकेडी की वजह से हाइ ब्लड प्रेशर, एनीमिया, हडि्डयों में कमजोरी और नर्व डैमेज जैसी अनेक समस्याएं भी शरीर में पैदा हो जाती हैं। यह हार्ट और ब्लड वैसल्स के रोगों का भी कारण होता है। सीकेडी के बारे में जानकारी का अभाव है और ऐसा सीकेडी के मरीज़ों की देखभाल के गिने-चुने केंद्र होने तथा नेशनल रजिस्ट्री के अभाव के चलते है। इसलिए, इस रोग के बारे में लोगों को जागरूक बनाने की जरूरत है।
सीकेडी के लक्षण प्राय: रोग के एडवांस अवस्था में पहुंचने तक दिखायी नहीं देते। इसलिए किडनी फंक्शन की नियमित रूप से जांच कराते रहनी चाहिए ताकि डॉक्टर सीकेडी की आरंभिक अवस्था को पहचानकर जल्द से जल्द उपचार शुरू कर सकें। सीकेडी के सबसे आम लक्षणों में शामिल हैं – पेशाब की सामान्य मात्रा में बदलाव, रात में सोते समय पेशाब के लिए बार-बार उठना, टखनों और आंखों के आसपास सूजन, हाइ ब्लड प्रेशर, एनीमिया, शरीर में दर्द (हडि्डयों में कमजोरी), भूख न लगना, जी मितलाना और उल्टी आना। मरीज़ को हमेशा थकान महसूस होती है, नींद में भी व्यवधान हो सकता है। इसके अलावा, क्रैम्प्स, मसल टि्वचिंग की शिकायत हो सकती है तथा त्वचा में शुष्की और खुजली भी हो सकती है। लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने तथा किडनी को स्वस्थ बनाए रखने के लिए प्रेरित करना जरूरी है।
यदि किसी को सीकेडी है तो तत्काल इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क करें और नियमित जांच भी अवश्य करवाएं। जीवनशैली में बदलाव तथा खानपान में सुधार करना सीकेडी के प्रबंधन के लिहाज़ से काफी महत्वपूर्ण होता है। आपको शारीरिक रूप से सक्रिय रहना चाहिए, यदि मोटापे के शिकार हैं तो वज़न कम करें, धूम्रपान छोड़ें और ब्लड प्रेशर तथा डायबिटीज़ को नियंत्रित करें।