Palwal/ ATULYA LOKTANTRA ( मुकेश बघेल ): गिरोह ने पलवल में कार्यरत एक न्यायाधीश का आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के जरिए साढ़े 24 हजार की धोखाधड़ी की थी। मामले की जांच करते हुए पुलिस साइबर ठग के गिरोह की पहचान कर ली है पुलिस का दावा है की जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जायेगा ।
पलवल में साइबर ठग के गिरोह के बारे में खुलासा करते हुए डीएसपी विजय पाल ने बताया कि जिला पुलिस कप्तान राजेश दुग्गल आईपीएस द्वारा जिला पुलिस को अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए सख्त दिशा निर्देश जारी किए हुए हैं। जिसके तहत कार्य करते हुए साइबर क्राइम थाना प्रभारी निरीक्षक सतनारायण एवं उसकी टीम ने आधार इनेबल पेमेंट सिस्टम विथ धोखाधड़ी के मामले का भंडाफोड़ करते हुए एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। उन्होंने बताया कि कुसलीपुर स्थित ज्यूडिशियल कॉम्प्लेक्स में रहने वाले माननीय न्यायाधीश श्री महेश कुमार ने शिकायत दी है कि उनके साथ ऑनलाइन ठगी की वारदात को अंजाम देकर साढ़े 24 हजार की राशि खाते से निकाल ली गई। इसी माह अलग-अलग तीन बार में खाते से यह नकदी निकाली गई।
यह राशि सात नवंबर, 23 नवंबर और 25 नंबर को निकाली गई है। जिसके बाद पुलिस ने मामले में जांच शुरू की। पुलिस ने ठगी के लिए प्रयोग किए गए खातों और मोबाइल नंबरों की जांच की है । जांच में पुलिस ने आरोपितों की पहचान कर ली है । आरोपी बिहार के जिला अररिया के गांव महलगांव में मेडिकल स्टोर चलाने का काम करता है । पुलिस द्वारा छापेमारी की कार्रवाई के बाद आरोपित मोहम्मद फोजान ने पलवल की अदालत में अग्रिम जमानत याचिका लगा दी, जो कि रद्द कर दी गई। डीएसपी विजयपाल ने बताया की इस गिरोह में कई सदस्य हैं, जिनकी तलाश पुलिस द्वारा लगातार की जा रही है। जल्द ही सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
इस गिरोह ने साइबर क्राइम से चार महीने में ही लाखों उड़ाए हैं पुलिस ने इस गिरोह द्वारा ठगी के लिए उपयोग किए खातों की जांच की तो उसमें लाखों की ट्रांजेक्शन मिली। इस गिरोह ने चार महीनों में ही साइबर ठगी की सैकड़ों वारदातों को अंजाम देकर 25 लाख ठग लिए।
आपको बता दें की यह गिरोह आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम लेनदेन संबंधी वित्तीय धोखाधड़ी से फिंगर प्रिंट का रबर क्लोन बना लेते हैं। इसके बाद ठग पता लगाते हैं कि उक्त व्यक्ति का आधार कार्ड नंबर किसी बैंक खाते से जुड़ा है या नहीं। इसके बाद वे उन आधार कार्ड नंबरों को शॉर्ट लिस्ट करते हैं जो बैंक खातों से जुड़े होते हैं। इसके बाद साइबर ठग ऑनलाइन अकाउंट बनाते हैं। इसके उपरांत ठग इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन प्रोसेसिंग प्लेटफॉर्म के ऐप में लॉग इन करते हैं और बायोमेट्रिक डिवाइस एवं रबर फिंगर प्रिंट क्लोन का उपयोग कर लेनदेन शुरू करते हैं। ट्रांजैक्शन पूरा होते ही पैसा इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के वॉलेट में चला जाता है, जहां से ठग उक्त राशि को अपने बैंक खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं।
ऐसे साइबर अपराधियों से कैसे बचे
इस ठगी से बचने के लिए अपने संबंधित बैंक से आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम को डीएक्टिव कराएं और आवश्यकतानुसार ही उसका उपयोग कर दोबारा से डीएक्टिवेट कराएं
अपने मोबाइल नंबर को खाते से लिंक करवाएं
किसी भी प्रकार के वित्तीय ऑनलाइन धोखाधड़ी होने पर 1930 पर कॉल कर अपनी शिकायत दर्ज करवाएं
इसके अलावा अपनी शिकायत साइबर थाना या आपके संबंधित थाने में स्थापित साइबर हेल्प डेस्क पर शिकायत दें।