एटा/अतुल्यलोकतंत्र : गत दिवस उत्तर प्रदेश के एटा जनपद स्थित जवाहरलाल नेहरू पी. जी. कालेज के सभागार में जल संरक्षण पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में स्थानीय समाजसेवी, स्वयंसेवी संस्थाओं, शिक्षाविदों व विभिन्न कालेजों की छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
संगोष्ठी में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय पर्यावरण सुरक्षा समिति के अध्यक्ष पर्यावरणविद ज्ञानेन्द्र रावत ने अपने संबोधन में कहा कि जल हमारे जीवन का आधार है। लेकिन विडम्बना यह है कि हम उसकी महत्ता को समझ नहीं रहे हैं। यह जानते-समझते हुए कि जल संकट की भयावहता से हमारा देश ही नहीं समूचा विश्व जूझ रहा है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र डार्ट जोन घोषित हो चुका है। कोई शहर, कस्बा, गांव ऐसा नहीं है जो पानी की समस्या से न जूझ रहा हो। देश की साठ करोड़ आबादी पानी की समस्या का सामना कर रही है। देश के तीन चौथाई घरों में पीने का साफ पानी मयस्सर नहीं है।
पानी की गुणवत्ता के मामले में हमारे देश का दुनिया में एक सौ बाईस देशों में एक सौ बीसवीं है। यह हमारी पानी के मामले में बदहाली का सबूत है। फिर भी ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं देता जो समस्या के समाधान की दिशा में आशा की किरणें जगाती हों। हमें बारिश से हर साल औसतन चार हजार अरब घन मीटर पानी मिलता है, नदियों से एक हजार उनहत्तर घन किलोमीटर, कुओं से और तालाबों से छह सौ नब्बे घन किलोमीटर और भूजल से चार सौ तेंतीस घन किलोमीटर पानी मिलता हो, वहां पानी का अकाल क्यों है? यह कोई नहीं सोचता।
इसका सबसे बड़ा कारण जल के उचित संरक्षण, भंडारण और उसकी बर्बादी है। इसका एकमात्र उपाय वर्षा जल संरक्षण, उसका उचित प्रबंधन और दैनिक जीवन में पानी के उपयोग के तरीकों में बदलाव है। इसके लिए पानी के दैनंदिन उपयोग में मितव्ययता और बर्बादी पर अंकुश बेहद जरूरी है। यह समझ लो कि यदि पानी रहेगा तो मानव सभ्यता बची रहेगी।
गोष्ठी को अध्यक्ष प्रमुख शिक्षाविद और संस्कार भारती के प्रांतीय संयोजक डा. प्रेमीराम मिश्रा ने संबोधित करते हुए कहा कि हमारे धर्म शास्त्र मे भी जल की महत्ता का उल्लेख है। उसको देवता माना गया है। उसको पूजा गया है। इसलिए उसकी हमें हर संभव रक्षा करनी होगी। बर्बादी रोकनी होगी। यदि ऐसा करने में हम कामयाब हुए तो काफी हदतक जल संकट से उबरा जा सकता है।
ज्ञानेंद्र रावत जी: संगोष्ठी के आयोजक सामाजिक कार्यकर्ता, राष्ट्रीय युवा शक्ति प्रमुख प्रदीप रघुनंदन ने कहा कि हमारा उद्देश्य जल संकट के समाधान की दिशा में लोगों में जागरूकता जगाना है। साथ ही वह यह समझ कर पानी बचाने का प्रयास करें कि पानी की एक एक बूंद का हमारे जीवन में कितना महत्व है।
गोष्ठी को कालेज के प्राचार्य डा. अनिल सक्सेना, विवेकानंद सेवा समिति के प्रधानश्री अमित स्वरूप, आई बी एन चैनल के प्रतिनिधि प्रसिद्ध पत्रकार राकेश भदौरिया, प्रो.प्रवेश पांडेय, डा. साक्षी दुबे, पर्यावरण कार्यकर्ता कैलाश सविता आदि ने संबोधित किया और जल संचय के उपयोग पर जोर दिया। संगोष्ठी में राष्ट्रीय पर्यावरण सुरक्षा समिति की ओर से उपस्थित जनों को प्रतिदिन जीवन में जलबचाने संबंधी एक परिपत्र वितरित किया और सयुश प्रमुख व भदौरिया ने उपस्थित जनों, छात्र-छात्राओं से जल संचय व संरक्षण का संकल्प कराया।